Tuesday , October 8 2024
Breaking News

गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात

चंडीगढ़। हरियाणा के गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से शुक्रवार चंडीगढ़ में निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान गृह मंत्री अनिल विज और निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। मुलाकात के दौरान निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों द्वारा गृह मंत्री अनिल विज को ‘My Land and My People’ पुस्तक भेंट की गई। निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल नामग्याल डोल्कर,  सेरता तसुल्ट्रीम और लामा रिचंदन तसुल्ट्रीम शामिल रहे।

इस बैठक में निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों ने गृह मंत्री को अवगत कराया कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) द्वारा 1949 में तिब्बत पर आक्रमण करने के बाद से तिब्बती लोगों के मूलभूत मानवाधिकारों का व्यवस्थित रूप से उल्लंघन हो रहा है। ये तिब्बती लोग अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर उपस्थित खतरे से आहत हैं। तिब्बत में स्थिति पिछले सात दशकों में बद से बदतर होती गई है। स्थिति इस कदर खराब हो रही है कि तिब्बत अब अपने सांस्कृतिक संहार और पहचान के पूर्ण विनाश के खतरे का सामना कर रहा है। चीन द्वारा 1959 में अवैध कब्जे से पहले के करीब दो हजार से अधिक वर्षों तक तिब्बत भौगोलिक दृष्टि से दो एशियाई दिग्गजों भारत और चीन के बीच बफर राज्य के रूप में अस्तित्व में रहा।

निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों ने बताया कि तिब्बत और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हजारों सालों का इतिहास रहा है। तिब्बत और भारत समृद्ध, प्राचीन और समकालीन सभ्यताओं वाले पड़ोसी देश रहे हैं। भारत और चीन के बीच कभी भी किसी भी प्रकार की सीमा नहीं मिलती थी। हालांकि चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा अस्तित्व में न केवल आ गई है, बल्कि वह विवाद का विषय भी बनी हुई है। इन सीमाओं के पीछे हमारे तिब्बती भाई-बहन हैं। इन पर चीन का आधिपत्य कायम है और चीनी दमनकारी नीतियों के तहत तिब्बती लोगों का उत्पीड़न जारी है।

सदस्यों ने गृह मंत्री को बताया कि तिब्बती लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट सरकार के क्रूर दमन के बावजूद पिछले 74 वर्षों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध को जारी रखा है और चीन के औपनिवेशिक कब्जे को सहन कर रहे है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती नागरिक के तौर पर हमारी स्थिति और अधिकारों को मान्यता दी जाए और उनकी पुनः पुष्टि की जाए। इस संबंध में गृह मंत्री ने तिब्बत संसद के सदस्यों से कहा कि तिब्बत विवाद के बारे में केंद्र सरकार की ओर से कार्यवाही की जाती है और इस बारे उन्हें संबंधित केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करनी चाहिए।

चंडीगढ़। हरियाणा के गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से शुक्रवार चंडीगढ़ में निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान गृह मंत्री अनिल विज और निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। मुलाकात के दौरान निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों द्वारा गृह मंत्री अनिल विज को ‘My Land and My People’ पुस्तक भेंट की गई। निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल नामग्याल डोल्कर,  सेरता तसुल्ट्रीम और लामा रिचंदन तसुल्ट्रीम शामिल रहे।

इस बैठक में निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों ने गृह मंत्री को अवगत कराया कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) द्वारा 1949 में तिब्बत पर आक्रमण करने के बाद से तिब्बती लोगों के मूलभूत मानवाधिकारों का व्यवस्थित रूप से उल्लंघन हो रहा है। ये तिब्बती लोग अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर उपस्थित खतरे से आहत हैं। तिब्बत में स्थिति पिछले सात दशकों में बद से बदतर होती गई है। स्थिति इस कदर खराब हो रही है कि तिब्बत अब अपने सांस्कृतिक संहार और पहचान के पूर्ण विनाश के खतरे का सामना कर रहा है। चीन द्वारा 1959 में अवैध कब्जे से पहले के करीब दो हजार से अधिक वर्षों तक तिब्बत भौगोलिक दृष्टि से दो एशियाई दिग्गजों भारत और चीन के बीच बफर राज्य के रूप में अस्तित्व में रहा।

निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों ने बताया कि तिब्बत और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हजारों सालों का इतिहास रहा है। तिब्बत और भारत समृद्ध, प्राचीन और समकालीन सभ्यताओं वाले पड़ोसी देश रहे हैं। भारत और चीन के बीच कभी भी किसी भी प्रकार की सीमा नहीं मिलती थी। हालांकि चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा अस्तित्व में न केवल आ गई है, बल्कि वह विवाद का विषय भी बनी हुई है। इन सीमाओं के पीछे हमारे तिब्बती भाई-बहन हैं। इन पर चीन का आधिपत्य कायम है और चीनी दमनकारी नीतियों के तहत तिब्बती लोगों का उत्पीड़न जारी है।

सदस्यों ने गृह मंत्री को बताया कि तिब्बती लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट सरकार के क्रूर दमन के बावजूद पिछले 74 वर्षों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध को जारी रखा है और चीन के औपनिवेशिक कब्जे को सहन कर रहे है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती नागरिक के तौर पर हमारी स्थिति और अधिकारों को मान्यता दी जाए और उनकी पुनः पुष्टि की जाए। इस संबंध में गृह मंत्री ने तिब्बत संसद के सदस्यों से कहा कि तिब्बत विवाद के बारे में केंद्र सरकार की ओर से कार्यवाही की जाती है और इस बारे उन्हें संबंधित केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करनी चाहिए।

About admin

Check Also

National Film Award: कब और कहां देखें नेशनल अवार्ड, जानें सेरेमनी से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स

70th national film awards: फिल्म और सिनेमा की दुनिया में सबसे बड़े पुरस्कार का आज आयोजन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *