हिमाचल प्रदेश सरकार का एक साल मनरेगा व निर्माण मज़दूरों के लिए काला वर्ष ही रहा क्यूंकि गत वर्ष बनी सुखू के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन 12 दिसंबर 2022 को मनरेगा मज़दूरों को बोर्ड का सदस्य बनने तथा उनकी सहायता राशी जारी करने पर रोक लगा दी थी जो अभी तक भी जारी है। जिसके चलते साढ़े चार लाख मज़दूरों को मिलने वाली सहायता गैर कानूनी तौर पर रोक दी गई है और ये इस सरकार का सबसे बड़ा मज़दूर विरोधी फ़ैसला है। हालांकि इसके ख़िलाफ़ सीटू से सबंधित मज़दूर यूनियन और अन्य सभी यूनियनें लगातार विरोध कर रही हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री इस बारे में पूरी तरह तानाशाही वाला रवैया अपना रहे हैं और बोर्ड में मनरेगा मज़दूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और उनके लाभों को बहाल नहीं कर रहे हैं।
जिसके चलते अब सभी मज़दूर यूनियनें जिनमें सीटू, इंटक,एटक, बीएमएस, टीयूसीसी और ग्रामीण कामगार संगठन आगामी 7 दिसंबर को घुमारवीं में सयुंक्त बैठक आयोजित करने जा रही हैं और सँयुक्त आंदोलन और कोर्ट में इस बारे याचिका दायर करने की रणनीति तैयार करेंगे। बोर्ड सदस्य व सीटू से सबंधित निर्माण व मनरेगा मज़दूर फेडरेशन के महासचिव भूपेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार द्धारा रोके गए बोर्ड के काम को बहाल करने के लिए सभी यूनियनें एकजुट हुई हैं क्यूंकि सुखू सरकार ने ये सारा काम गैर कानूनी तौर पर रोक रखा है और करोड़ो रूपये की सहायता जारी करने पर भी रोक लगा दी है। हालांकि, इस बारे सीटू से जुड़ी यूनियन जून और नवंबर में दो बार शिमला और ऐसे ही ज़िला व ब्लाक स्तर पर भी प्रदर्शन कर चुकी है लेकिन सरकार टश से मश नहीं हो रही है।इसलिए अब सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन तेज़ करने का फ़ैसला लिया गया है।जिसके तहत 12 दिसंबर को सभी गांवों व पँचायतों में उस अधिसूचना को सार्वजनिक तौर पर फूंका जायेगा जिसके तहत ये काम रोका गया है।
उसके बाद डेढ़ महीने गांव सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ जनअभियान, पदयात्रा और पर्चा वितरण अभियान चलाया जाएगा जो जनवरी के अंत में ब्लाक व ज़िला स्तरीय रैलियों और पुतला दहन के साथ समाप्त होगा और यदि तब तक भी सरकार ने अपना फ़ैसला नहीं बदला तो अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों में इस सरकार के ख़िलाफ़ वोट देने के लिए मज़दूरों को जागरूक किया जायेगा।भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बोर्ड से मज़दूरों के बच्चों की पढ़ाई, विवाह शादी, चिकित्सा व अन्य कई तरह की सहायता प्रदान की जाती है जो पिछले साल 161 करोड़ रुपये जारी हुई थी लेक़िन इस साल अभी तक कुछ चुनींदा मज़दूरों को ही डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास ही जारी हुई है लेकिन उनमें मनरेगा मज़दूरों को ये सहायता प्रदान नहीं कि जा रही है इसी प्रकार मनरेगा में मजदूरों को सौ दिन का काम भी नहीं मिल रहा है और उन्हें दिहाड़ी भी अन्य मज़दूरों की तुलना में 135 रु दिन की कम मिलती है जो अन्य दिहाड़ीदारों को 375 और मनरेगा मज़दूरों को 240 रु है जो सही नहीं है।इसलिए यूनियन इन मांगों को लेकर दिसंबर माह से संघर्ष तेज़ करेगी।