सीटू से सबंधित आंगनवाड़ी व्रकर्ज एवं हेल्पर्ज यूनियन की बैठक बलद्वाड्डा में आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता यूनियन की प्रधान सोनिका शर्मा ने की और सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह इस बैठक में विशेष तौर पर शामिल हुए। यूनियन की प्रधान सोनिका ने बताया कि हिमाचल सरकार ने हैल्परों की पददोन्नति की आयु सीमा 45 वर्ष से घटा के 35 वर्ष कर दी है जो सही नहीं है और यूनियन इसके विरुद्ध 26 नवंबर को शिमला सचिवालय के बाहर विरोध रैली आयोजित करने जा रही है जिसमें गोपालपुर खण्ड के सभी सर्कलों से व्रकरें और हेल्पर्ज भाग लेंगी। इस दौरान सीटू ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आईसीडीएस परियोजना को चले हुए 40 वर्ष हो गए हैं लेकिन सरकार ने इसमें काम कर रही महिलाओं को अभी तक भी कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया है और इन्हें स्वयंसेवी के रूप में कहा गया है जिसका यूनियन विरोध करती आई है और इन्हें विभागीय कर्मचारी बनाने की मांग करती है।
उन्होंने बताया कि विभाग के अन्य सभी कर्मचारी व अधिकारी विभाग के पक्के कर्मचारी हैं लेकिन रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करने वाली 40 हज़ार महिलाएं इससे बाहर रखी गई हैं।उन्होंने कहा कि यूनियन इन्हें पक्का कर्मचारी बनाने की मांग करती है और जब तक ऐसा नहीं होता है तो इन्हें हरियाणा सरकार की तर्ज़ पर वेतन देने की मांग करती है।सेवानिवृति के समय सहायता राशि और पेंशन देने की भी मांग कर रही है।आंगनवाड़ी केंद्रों को ही नर्सरी स्कूल का दर्जा देने तथा इनमें काम कर रही वर्करों को नर्सरी टीचर लगाने की मांग कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार ग्रेच्यूटी जल्दी देने की भी मांग यूनियन कर रही है और सेवानिवृति की आयु 65 वर्ष करने,डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर न करने के बजाये बच्चों को आहार उपलब्ध कराने, बीएलओ और अन्य विभागों का कार्य करने पर अतिरिक्त मानदेय दिया जाये तथा बीएलओ की राशी बढ़ाने, पोषण ट्रैकर चलाने के लिए आई फ़ोन और इन्टरनेट भत्ता तथा मोबाईल रिपेयर भत्ता सभी को देने की भी मांग भी यूनियन कर रही है। इसके अलावा सुपरवाइजर भर्ती के लिए आयु सीमा समाप्त की जाए तथा मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्र का दर्जा दिया जाए तथा मानदेय भी बराबर दिया जाए।इन सभी मांगो के लिए 26 नवंबर को शिमला में विशाल प्रदर्शन करने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग वर्करों की एकता तोड़ने का काम करते हैं जिससे वर्करों की मांगे मनवाने में सरकार के समक्ष उनका पक्ष कमज़ोर पड़ता है इसलिए सभी वर्करों को सीटू से सबंधित यूनियन को मजबूत करना चाहिए जो 1989 से लगातार संघर्ष करती आई है और उसी संघर्ष के कारण वर्करों का मानदेय 250/रु से 9500/ तक पहुंचा है।बैठक में क्षमा वर्मा, शीलमा, सुनीता, सुमना, विना, रीतू, सुरेन्द्रा, रीना, कमला, निशा, सुष्मिता इत्यादि चालीस सदस्य उपस्थित हुए।