हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के नए आदेशों के अनुसार, नए शिक्षा निति को लेकर दिसंबर 2022 में एक मीटिंग हुई थी। इसके नई शिक्षा पॉलिसू के तहत फ्रेमवर्क बनाया गया था । इसके अनुसार, अब ग्रेजुएशन का कोर्स चार साल का रहेगा। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त सभी कॉलेजो में यह नियम लागू होगा।
नई शिक्षा नीति के अनुसार, तीन या चार साल के कोर्स के दौरान एंट्री और एग्जिट की ऑप्शन रहेगी। एक साल की पढ़ाई (दो समेस्टर) के लिए डिप्लोमा मिलेगा। साथ ही दो साल पूरा करने पर भी डिप्लोमा मिलेगा और तीन साल के लिए बैचलर डिग्री और चार साल के लिए बेचलर (ऑनर्स) की डिग्री मिलेगी। एक साल बाद कोर्स छोड़ने वाले छात्रों को 40 क्रेडिट स्कोर करना होगा तभी इन्हें यूजी सर्टिफिकेट मिलेगा।
स्टूडेंट्स को 4 साल के कोर्स से क्या फायदा मिलेगा?
- बीए, बीएससी, बीकॉम के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में एडमिशन लेने के कई फायदे हैं । 4 साल का कोर्स खत्म करने के बाद स्टूडेंट्स को बीए, बीएससी या बीकॉम ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी।
- दुनियाभर की यूनिवर्सिटी में यूजी के कोर्स इसी मॉडल पर चल रहे हैं. जो स्टूडेंट्स मास्टर्स की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना चाहते हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी।
- देश में बीटेक, बी फार्मा और एमबीबीएस समेत मेडिकल के सभी कोर्स साढ़े चार साल के पहले से हैं।
- स्टूडेंट्स को एक विषय सेलेक्ट करके उसकी पढ़ाई करनी है। इसमें रिसर्च समेत मल्टीपल स्किल बढ़ाने वाले कोर्स शामिल हैं।
- अगर कोई स्टूडेंट किन्हीं कारणों से तीन साल बाद पढ़ाई बीच में छोड़ देता है तो उसे बीए, बीएससी या बीकॉम की डिग्री मिल जाएगी।
- दो साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डिप्लोमा और 1 साल के बाद पढ़ाई छोड़ी तो सर्टिफिकेट मिलेगा।
- पहले कोर्स पूरा करने पर ही डिग्री मिलती थी। बीच में पढ़ाई छोड़ने पर समय और पैसा, दोनों की बर्बादी होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा
हिमाचल प्रदेश में करीब 500 कॉलेज हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू) के तहत कई कॉलेज और संस्थान हैं। इनमें सरकारी और निजी कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, रिसर्च इंस्टीट्यूट, मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कॉलेज, लॉ कॉलेज, बीएड कॉलेज, और संस्कृत कॉलेज शामिल हैं। मंडी की सरदार पटेल यूनवर्सिटी के तहत भी कुछ कॉलेजों को शामिल किया गया है। ये कॉलेज पहले एचपीयू के अंडर आते थे।