भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय शर्मा ने मुख्यमंत्री के पिछले कल सोलन में दिए गए बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा है की विधायकों को नगर निगम में वोट देने का बिल भारतीय जनता पार्टी लाई थी और उन्होंने केवल उसे बिल को आगे बढ़ने का काम किया है जबकि यह बात हकीकत से कोसों दूर है। मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों का ठीकरा भारतीय जनता पार्टी पर फोड़ना चाहते हैं। यदि मुख्यमंत्री की बात में जरा सी सच्चाई है तो कोर्ट के भीतर हलफनामा देकर इस बात को साबित करें। इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह से झूठे बयान देकर सनसनी फैलाने से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री बताएं की किस साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ऐसा बिल बनाया और यदि ऐसा है तो सभी दस्तावेज सार्वजनिक करने चाहिए ताकि जनता सच्चाई जान सके।
मुख्यमंत्री यह भी बताएं कि जब नगर निगम के मेयर और उपमेयर के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद किस आधार पर विधायकों को वोट देने के अधिकार का बिल लेकर के सरकार आई और क्या यह कानूनी रूप से सही था ? सरकार को भी यह पता था कि अधिसूचना जारी होने के उपरांत कोई भी संशोधन बिल नहीं लाया जा सकता है । ऐसे संशोधन भाभी योजना के लिए तो ले जा सकते हैं लेकिन पूर्वव्यापी योजना के ऊपर लागू नहीं किया जा सकता। अपनी 10 गारंटिरयां पूरी नहीं कर पाने की बौखलाहट में मुख्यमंत्री अनाप शनाप बयान बाजी कर रहे हैं। प्रदेश के जनजातीय जिला के पांगी के हिस्से में 800 महिलाओं को₹1500 महीना देकर मुख्यमंत्री यह मान कर चल रहे हैं कि उन्होंने प्रदेश की सभी महिलाओं को ₹1500 देने की गारंटी को पूरा कर दिया है। मुख्यमंत्री को अनाप-शनाप बयान बाजी करने की बजाय प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था बिगड़ती आर्थिक व्यवस्था और प्रदेश के रुके पड़े विकास कार्यों की तरफ ध्यान देना चाहिए जिसके लिए प्रदेश की जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है।