चंडीगढ़, 20 अक्तूबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की जनता लाचार स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे खुद के ठीक होने की आस कर रही है पर यह आस स्टाफ की कमी और सीमित संसाधनों के बीच दम तोड़ रही है। डेंगू व बुखार के अन्य मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हालात बिगड़ने पर भी फॉगिंग तक का इंतजाम नहीं किया जा रहा है। मौतों के आंकड़े सार्वजनिक न हों, इसलिए निजी अस्पतालों को डेंगू के केस रिपोर्ट करने से रोका जा रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की कोई फिक्र नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही के मामले औसतन हर सप्ताह प्रदेश के किसी न किसी कोने से आते रहते हैं। बावजूद इसके न तो स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त किया जा रहा है और न ही स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ चुकी सेहत को सुधारने के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब बुखार और डेंगू का सीजन हर साल आता है तो फिर गठबंधन सरकार ने पहले से इसकी रोकथाम और उपचार की तैयारी क्यों नहीं की। शहरों व गांवों में न तो फॉगिंग करवाई गई और न ही बुखार को देखते हुए संवेदनशील घोषित इलाकों में मच्छरदानी वितरित की गई। यही नहीं, सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों के समुचित इलाज के लिए भी पूरे इंतजाम नहीं किए गए। अब अन्य वर्षों के मुकाबले डेंगू से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है तो गठबंधन सरकार चुप्पी साधे बैठी है। उन्होंने कहा कि फागिंग के नाम पर केवल कागजों का पेट भरा जा रहा है, जहां पर फाङ्क्षगग की बात कही जा रही है उसी क्षेत्र से डेंगू के मरीज आ रहे हैं। अधिकारी भी धरातल पर जाकर वस्तु स्थिति जानने का प्रयास नहीं करते जो कर्मचारियों ने लिखकर भेज दिया वहीं सही है जबकि जो कागजों में दिखाया गया है वैसा धरातल पर कुछ भी नहीं हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में लैब, पैरा मेडिकल स्टाफ, डॉक्टर और स्पेशलिस्ट डॉक्टर के हजारों पद खाली पड़े हैं। इनमें से काफी पद तो ऐसे हैं, जिनके लिए किसी तरह की भर्ती प्रक्रिया भी अभी तक शुरू नहीं की गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश में मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ के हजारों पद खाली हैं। रेडियोलॉजिस्ट के 225, स्टाफ नर्स 2260 पद खाली हैं तो रेडियोग्राफर, एमपीएचडब्ल्यू, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, ऑर्थो असिस्टेंट के पदों पर भी भर्ती नहीं की जा रही। कुमारी सैलजा ने कहा कि पीजीआईएमएस रोहतक जो अब मेडिकल यूनिवर्सिटी है, में डॉक्टरों के 45 प्रतिशत पद खाली हैं। इससे यहां बेहतर इलाज की आस में पहुंचने वाले हजारों लोगों के साथ ही एमबीबीएस, एमडी/एमएस की पढ़ाई करने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार अनुरोध के बाद भी प्रदेश सरकार यूनिवर्सिटी को भर्ती प्रक्रिया चलाने की इजाजत नहीं दे रही है। इससे साफ है कि गठबंधन सरकार बीमार हो चुके स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त नहीं करना चाहती। हालात बिगड़ने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ रखे बैठे है। परेशान जनता आने वाले चुनाव में इस सरकार को घर पर बैठाने का काम करेगी।