हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के किसान कड़ी मेहनत करके देश को खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनाने में अहम योगदान दे रहे हैं। वर्तमान राज्य सरकार किसानों की हितैषी है। सरकार ने बाढ़ से प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को सीएम की विशेष चर्चा कार्यक्रम के तहत ऑडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों से संवाद करते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दोबारा से फसलों की बिजाई करने वाले किसानों को प्रति एकड़ सात हजार रुपये का मुआवजा दिया है। प्राकृतिक आपदा से खराब हुई फसलों के लिए किसानों को पिछली सरकार ने 10 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी जाती थी, उसे बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ किया गया है। पिछले साढ़े नौ वर्षों में प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को 11 हजार करोड़ रुपये की मुआवजा राशि दी है, जिसमें पिछली सरकार की बकाया 269 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि भी शामिल है। सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान के सत्यापन और प्रभावित लोगों को मुआवजे के वितरण की प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू किया था, जोकि कारगर साबित हुआ है। पराली का उपयोग कर बिजली बनाने के लिए कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद एवं जींद में बायोमास परियोजनाएं शुरू की गई, जिनसे 30 मेगावाट विद्युत उत्पन्न हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली का उपयोग जैव ईंधन बनाने में भी किया जा रहा है। पानीपत रिफाइनरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अगस्त, 2022 को 2जी इथेनॉल प्लांट का लोकार्पण किया था। 2जी के बाद अभी 3जी प्लांट भी पानीपत रिफाइनरी में लग गया है, जो दुनिया का पहला रिफाइनरी ऑफ गैस आधारित 3जी इथेनॉल प्लांट होगा। 2जी इथेनॉल प्लांट में पराली की खपत सुनिश्चित करने के लिए 1,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘पी.एम. किसान सम्मान निधि योजना’ की 15वीं किस्त के लाभार्थी किसान भी हमारे साथ जुड़े हुए हैं। प्रदेश के 8 लाख 74 हजार किसानों को किस्त के तौर पर 175 करोड़ रुपये मिले हैं। उन्होंने बताया कि गोशालाओं में भी पराली की खपत को प्रोत्साहित करने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिकतम 15 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में खेती की जमीन कम हो रही है। सरकार की अफ्रीकी देशों से बात हुई है। हमारे किसान वहां जाकर खेती कर सकेंगे। इसके लिए सरकार योजना बना रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसानों ने पराली प्रबंधन की अच्छी मिसाल पेश की है। पराली प्रबंधन में हरियाणा आदर्श राज्य बना है। प्रदेश में पराली जलाने की कम घटनाएं हुई हैं। इसके लिए किसान बधाई के पात्र हैं। गत दिनों प्रदूषण के एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने भी पंजाब सरकार को कहा कि खेतों में आग लगाने की घटनाओं को कम करने के लिए हरियाणा से सीखो। प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में हरियाणा में 36.4 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पंजाब में 27.1 प्रतिशत की ही कमी दर्ज की गई है।
आई.सी.ए.आर. की गत 22 नवंबर तक की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में पराली जलाने के 2,239 मामले प्रकाश में आए हैं, जबकि हमारे पड़ोसी राज्य पंजाब में 36,118 मामले हुए हैं। उन्होंने कहा कि पराली के प्रबंधन के लिए विकल्प तैयार किए हैं। हरियाणा ने देश में एक अनूठी पहल करते हुए पराली की खरीद हेतु 2500 रुपये प्रति टन की दर निर्धारित की है। 20 प्रतिशत से कम नमी वाली पराली की खरीद के समय 500 रुपये प्रति टन की दर से अतिरिक्त भुगतान का प्रावधान भी किया गया है। कोई भी किसान अपने खेत में आग लगाकर खुश नहीं हो सकता। ऐसा तभी करना पड़ता है जब कोई विकल्प ही नहीं बचा हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण व उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित है। इस दिशा में खेत में बीज बोने से लेकर मंडी में फसल की बिक्री तक हर कदम पर सरकार ने किसानों की मदद की है। उन्होंने बताया कि इसी साल जुलाई महीने में बाढ़ के कारण 12 जिलों में 1469 गांव और 4 शहर प्रभावित हुए थे। इन जिलों में अंबाला, फतेहाबाद, फरीदाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पंचकुला, पानीपत, पलवल, सोनीपत, सिरसा और यमुनानगर शामिल हैं।
सरकार ने बाढ़ पीडि़तों को पूरा सहयोग किया है। 112 करोड़ 21 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी है। फसल खराब के लिए 34 हजार 511 किसानों को 97 करोड़ 93 लाख 26 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई है। इनमें भी 49 हजार 197 एकड़ का वह क्षेत्र भी शामिल है, जिसकी पुन: बिजाई कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन ग्राम पंचायतों को 1 लाख रुपये का इनाम दिया जाता है, जो फसल अवशेष जलाने के मामले में अति संवेदनशील गांवों की श्रेणी से निकलकर शून्य फसल अवशेष जलाने की श्रेणी में आ जाती हैं। इसी प्रकार से उन पंचायतों को 50 हजार रुपये का इनाम दिया जाता है, जो संवेदनशील गांवों की श्रेणी से निकलकर शून्य फसल अवशेष जलाने की श्रेणी में आ जाती हैं।
उन्होंने बताया कि धान की खेती में पानी की अधिक खपत को देखते हुए इसके स्थान पर कम पानी की खपत वाली फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना चलाई है। इसके तहत धान क्षेत्र के अन्य फसलों से विविधिकरण हेतु 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जा रहा है। अब तक 118 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जा चुकी है। इससे पराली की मात्रा में भी कमी आई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को रोकने के लिए वर्ष 2018 से अब तक प्रदेश में 6,794 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए हैं। किसानों को 80,071 फसल अवशेष प्रबंधन उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसानों को अब तक 685 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में प्रदान किए जा चुके हैं। चालू वित्त वर्ष में अब तक 6,130 मशीनें किसानों द्वारा अनुदान पर खरीदी गई हैं। इन मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इन-सीटू एवं एक्स सीटू प्रबंधन करने पर 1,000 प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। अब तक लगभग 1 लाख 42 हजार किसानों ने 13.1 लाख एकड़ धान क्षेत्र को प्रबंधित करने हेतु पंजीकरण करवाया है, जिस पर किसानों को लगभग 131 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश में 2 लाख 50 हजार एकड़ भूमि में फसल अवशेष प्रबंधन हेतु पूसा डिकम्पोजर किट किसानों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाई गई। चालू वित्त वर्ष में 5 लाख एकड़ धान के क्षेत्र को डीकम्पोजर से प्रबंधित करने का लक्ष्य है।