चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य में धान की कटाई का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और सरकार पराली जलाने से निपटने के लिए उपायों को बढ़ावा दे रही है। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक के दौरान कौशल ने पराली जलाने पर अंकुश लगाने और आग की घटनाओं को सक्रिय रूप से कम करने के सरकार द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों पर बल दिया, ताकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। सरकार के प्रयासों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा में 36.5 लाख एकड़ धान की खेती होती है। जिसमें 18.36 लाख एकड़ बासमती की खेती और लगभग 18.2 लाख एकड़ गैर-बासमती की खेती शामिल है।
संजीव कौशल ने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक बनाए रखने के लिए सरकार सतर्क है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 38 प्रतिशत की कमी आई है, और पिछले दो वर्षों में 57% की पर्याप्त कमी दर्ज की गई है। कौशल ने कहा कि आग पर काबू न पाने के लिए उपायुक्तों और स्टेशन हाउस ऑफिसर को जिम्मेदार ठहराने के निर्देश जारी किए गए है। सरकार ने खेतों में आग के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करते हुए 1256 चालान जारी किए हैं। खेतों में आग से संबंधित 72 एफआईआर दर्ज कर 44 अपराधियों को पकड़ा है।
कौशल ने कहा कि राज्य सरकार ने गुरुग्राम और फरीदाबाद जिलों में बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल एलएमवी (4 व्हीलर) पर तत्काल प्रभाव से 30 नवंबर तक या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जीआरएपी स्टेज III को रद्द किए जाने तक प्रतिबंध लगा दिया है। (आपातकालीन सेवाओं में तैनात वाहनों, पुलिस वाहनों और प्रवर्तन के लिए उपयोग किए जाने वाले सरकारी वाहनों को छोड़कर)। इन जिलों में बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल एलएमवी (4 व्हीलर) का उपयोग करते पाए जाने वाले उल्लंघनकर्ताओं पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 194(1) के तहत केस दर्ज किया जायेगा।
एनसीआर जिलों में पंजीकृत वाहनों पर होलोग्राम आधारित रंगीन स्टिकर लगाने के संबंध में उन्होंने कहा कि 14 नवंबर, 2018 से 31 जनवरी, 2023 के बीच एनसीआर जिलों में लगभग 10 लाख वाहनों को कलर-कोड किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पराली प्रबंधन योजनाओं के लिए 600 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इन उपकरणों का उद्देश्य बायोमास-आधारित परियोजनाओं के लिए पराली को भूसे के लिए आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जिससे पराली जलाने में कमी आएगी और पर्यावरण के प्रति जागरूक खेती को बढ़ावा मिलेगा।