हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड द्धारा गत वर्ष से मनरेगा मज़दूरों और अन्य निर्माण मज़दूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और उन्हें मिलने वाली सहयता पर लगाई गैर कानूनी रोक के ख़िलाफ़ सभी ट्रेड यूनियनों की सयुंक्त बैठक इंटक कार्यालय घुमारवीं में हुई। बैठक की अध्यक्षता इंटक नेता जगत राम ने की और बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदीपसिंह और सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर सिंह ठाकुर भी बैठक में शामिल हुए। बैठक इसमें इंटक, भारतीय मज़दूर संघ, सीटू, एटक, टीयूसी सी और हिमाचल ग्रामीण कामगार संघ से जुड़े चार दर्जन पदाधिकारियों ने भाग लिया। जिनमें इंटक के जगत राम, रूपचंद, संजय सैनी, जगतार सिंह, विना शर्मा, कमलेश कुमारी बीएमएस के प्रदीप कुमार, मंगत राम नेगी, राजू भारद्वाज, जोगिन्दर कुमार और अशोक कुमार सीटू के भूपेंद्र सिंह और प्रेम गौतम, कामगार संगठन के संत राम, अजित राठौर, देश मित्र, शोभा राम एटक के जगदीश भारद्वाज और लेखराम वर्मा और टीयूसीसी के रविन्द्र कुमार रवि, प्रेम चन्द चौधरी आदि ने भाग लिया।
बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि हिमाचल प्रदेश में गत वर्ष 11 दिसंबर को बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार के अगले ही दिन यानी 12 दिसंबर को जारी अधिसूचना के बाद मनरेगा मज़दूरों को बोर्ड का सदस्य बनने और उन्हें बोर्ड के लाभों से वंचित किया गया है जो अभी तक भी जारी है। इसके अलावा 8 फ़रवरी को सरकार द्वारा अधिसूचना के तहत निर्माण मज़दूरों को पंजीकरण के लिए सबंधित निर्माण कार्य में सेस अदायगी बारे प्रमाण पत्र देने की शर्त लगा दी है और साथ में ही पंजीकृत निर्माण यूनियनों को रोज़गार प्रमाण पत्र जारी करने से वंचित कर दिया है।इन सब फैसलों से वर्तमान में बोर्ड का काम वर्तमान में बन्द पड़ा है।हालाकिं यूनियनें इसका अलग अलग तरीके से विरोध कर रही हैं।
इस दौरान हुई तीन बोर्ड बैठकों में भी रुके कार्य को बहाल करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं। लेकिन बोर्ड में राजनैतिक कारणों से ये लागू नहीं हो रहे हैं। इसलिए अब सभी मज़दूर यूनियनें एकजुट हुई और इसके ख़िलाफ़ संयुक्त रूप में आंदोलन करने और बोर्ड और सरकार के ख़िलाफ़ माननीय उचच न्यायालय में याचिका दायर करने का आज निर्णय लिया गया।सभी यूनियनों ने मिलकर सयुंक्त एक्शन कमेटी का गठन किया गया जिसका कन्वीनर भूपेंद्र सिंह को बनाया गया है रूपसिंह, प्रदीप कुमार, जगदीश भारद्वाज, रविन्द्र रवि और संत राम को को कन्वीनर चुना गया। ज्वाईंट एक्शन कमेटी ने निर्णय लिया गया कि 12 दिसंबर 2022 को जारी मज़दूर विरोधी अधिसूचना का एक वर्ष पूरा होने पर इस माह 12 दिसंबर को विरोध दिवस मनाया जाएगा और हर गांव व पँचायत स्तर पर इस अधिसूचना की प्रतियां सार्वजनिक तौर पर फूंकी जाएंगी। सयुंक्त रूप में बोर्ड की कार्यप्रणाली बारे 23 दिसंबर को हर जिले से मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री और बोर्ड के अध्यक्ष को ज्ञापन भी इसी दौरान दिए जाएंगे और यदि उसके बाद भी बात नहीं सुनी तो जनवरी माह के अंत में सयुंक्त प्रदर्शन किये जायेंगे और उसके बाद विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जायेगा।