अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह, आईपीएस ने कहा कि प्रदेश पुलिस इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सम्मिलित अन्य विभागों जैसे फॉरेंसिक लैब के लिए ई-फॉरेंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसीक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ मिलकर काम कर रही ताकि क्राइम नहीं, क्रिमिनल की ट्रैकिंग अच्छी तरह से हो। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में आयोजित सभी विभागों के साथ संपन्न हुई बैठक में एससीआरबी चीफ ने कहा कि अपराधी खोज प्रणाली आईसीजेएस (इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत पानीपत जिले के समालखा पुलिस थाने में पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम किया जायेगा, वहीं सेंट्रल जेल अम्बाला में जेल विभाग बतौर पायलट प्रोजेक्ट इसे चलाएगा। विदित है कि हरियाणा, देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने अपराधी खोज प्रणाली आईसीजेएस (इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत अब तक करीब एक करोड़ अपराधियों की तलाश की है। हरियाणा प्रदेश में इस प्रणाली के माध्यम से अपराधियों को खोजने में सहायता मिलती है और इस प्रणाली के माध्यम से अपराधियों की पहचान करने वाला हरियाणा प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में से एक है।
विभागों ने नियुक्त किये नोडल अधिकारी, इंटीग्रेशन के लिए एनसीआरबी बनाएगा लॉगिन आईडी
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के जॉइंट डायरेक्टर पवन भारद्वाज ने वीडियो कॉल के माध्यम से बैठक में भाग लिया। उन्होंने बताया कि एनसीआरबी जल्द ही आईसीजीएस के अन्य विभागों को लॉगिन आईडी दी जाएगी ताकि वो इंटीग्रेशन का कार्य पूरा कर सकें। विदित है कि पुलिस (सीसीटीएनएस), फॉरेंसिक लैब के लिए ई-फॉरेंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसीक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ ही इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश पुलिस जेलों में बंद अपराधियों का पूर्ण रिकॉर्ड रहता है। सॉफ्टवेयर में अपराधी का नाम व अन्य सूचना की एंट्री करने से, यदि किसी अन्य राज्य में उसकी स्थिति है तो तभी अपडेट हो जाती है। सूचना के आधार पर अनुसंधान अधिकारी आगामी कार्यवाही कर सकते है। इसके अतिरिक्त बैठक में फैसला लिया गया कि ई-कोर्ट में केस अपलोड करने की सुविधा के लिए काम किया जायेगा।
कैदियों की जानकारी मिलेगी एक क्लिक पर, थानों में “रुक्के” का होगा डिज़िटाइज़ेशन
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि ई- प्रिजन को जल्द ही इंटीग्रेट कर लिया जायेगा। इसके लिए ज़रूरी तैयारी जल्द ही पूरी कर ली गई है। ई- प्रिजन के लागू होने से कैदियों के बारे में जानकारी, उनकी प्रोफाइल, वर्तमान स्थिति तुरंत पुलिस को उपलब्ध हो सकेगी। आईसीजेएस प्लेटफार्म गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार से आपराधिक न्याय प्रणाली की क्षमता बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इसके अलावा बैठक में अधिकारियों द्वारा निर्णय लिया कि सभी थानों में मिलने वाले “रुक्के” का डिज़िटाइज़ेशन किया जायेगा। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही किसी भी हॉस्पिटल में कोई पुलिस केस मिलता है तो उसकी सुचना (रुक्का), सम्ब्नधित थाने में दी जाती है।
क्या है आईसीजेएस प्रणाली, क्रिमिनल की ट्रैकिंग यहाँ से समझें –
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आईसीजेएस प्रणाली अपराधियों को खोजने में काफी कारगर सिद्ध हो रही है। पुलिस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क प्रणाली), फॉरेंसिक लैब के लिए ई-फॉरेंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसीक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ ही इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश पुलिस जेलों में बंद अपराधियों का पूर्ण रिकॉर्ड रहता है। सॉफ्टवेयर में अपराधी का नाम व अन्य सूचना की एंट्री करने से, यदि किसी अन्य राज्य में उसकी स्थिति है तो तभी अपडेट हो जाती है। सूचना के आधार पर अनुसंधान अधिकारी आगामी कार्यवाही कर सकते है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में प्रदेश के मधुबन में स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के डेटा के इंटीग्रेशन के बारे में भी निर्णय लिया गया। विदित है कि वर्तमान में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, पंचकूला व फॉरेंसिक साइंस लैब, मधुबन, करनाल के निदेशक की ज़िम्मेदारी एडीजीपी ओ पी सिंह, आईपीएस पर है।