भिंड। धन और सुख समृद्धि के पीछे आज के समय में हर कोई भाग रहा है, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं करोड़ों की पॉपर्टी छोड़ कोई सन्यासी कैसे बन सकता है। जी हां, ऐसा ही कुछ नजारा मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले में देखने को मिला। जहां तीन मित्र सांसारिक दुनिया छोड़कर जैन मुनि बन गए।
चंबल का भिण्ड जिला ऋषियों की तपोभूमि मानी जाती है। इसी भूमि में कई ऋषियों ने जंगल में बैठकर तप त्याग किया है, आज भी यहां के लोग सब कुछ छोड़कर भगवान की भक्ति में लीन हो जाते हैं. इसका एक उदाहरण जिले के हिमांशु जो जैन धर्म से आते हैं, इनके साथ दो अन्य सिद्धम और विपुल तीनों भाइयों ने करोड़ों की संपत्ति छोड़कर वैराग्य धारण कर लिया। हिमाशु की माता जी मधु जैन बताती हैं कि बचपन से ही भगवान से अधिक प्रेम करता था घर और दुकान के काम मे हाथ नहीं बटाता था।
ऐसा ही एक बार विशुद्ध सागर महाराज आए उनके प्रवचन सुनकर मन मे वैराग्य धारण करने के विचार आने लगे थे. मेरे मना करने के बाद वह नहीं माना और आज करोड़ों की जायदाद छोड़कर वैराग्य धारण कर, घर द्वार छोड़कर भगवान की भक्ती के लिए चला गया। बेटे हिमांशु, सिद्धम, विपुल का विदाई कार्यक्रम शहर के महावीर गंज रखा गया। जहां सभी को बुलाकर विधि विधान से विदाई की गई। इस दौरान हिमांशु के माता पिता की आंखों से आंसू आते रहे बेटे ने दोनों को गले लगाकर आशीर्वाद लिया फिर निकल गया। सन्यास लेने वाले तीनों भाई वैसे तो करीबी मित्र भी हैं, लेकिन ये भिण्ड शहर के अलग – अलग जगह से आते हैं। हिमांशु जैन, भिण्ड के महावीर गंज तो विपुल वटरबक्स, वहीं सिद्धम जैन रूर गांव से आते हैं। इन तीनों ने मोह माया छोड़ सन्यास ले लिया है और आज ये अपनी करोड़ों की संपत्ति छोड़कर आज सन्यासी बन चुके हैं।