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सरकाघाट की गैहरा पंचायत के डेढ़ दर्जन परिवार डैमेज सूची से बाहर

सरकाघाट। सरकाघाट की गैहरा पंचायत के करीब डेढ़ दर्जन परिवारों को आपदा प्रभावित सूची में शामिल न किए जाने का मामला शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के पास पहुंच गया है। इन सभी परिवारों के मकान पूर्ण या आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त हुए हैं लेकिन राजस्व विभाग की लापरवाही से इन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है। प्रभावितों द्वारा गत शनिवार को राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड के सदस्य और पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह और हिमाचल किसान सभा के खंड अध्यक्ष दिनेश काकू के नेतृत्व में शिमला में मुख्यमंत्री के सचिव को को मांग पत्र सौंपा जिन्होंने तुरन्त उपायुक्त मंडी को  जल्द से जल्द हल करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं।

गौरतलब है कि गोपालपुर विकास खंड की ग्राम पंचायत गैहरा के अमीचन्द,पुन्नू राम, हेत राम, प्रकाश चन्द, गौरी दत्त गांव के रत्न चन्द, शेर सिंह, जय राम, अनिल कुमार और कश्मीर सिंह  कश्मीर सिंह (गैहरा) भगवान दास(शैलग)लछमन दास(झीड) सोहन सिंह और जय पाल, लीला देवी (काश) और सोहन सिंह (भरनाल) आदि के मकान बारिश और भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हो गए थे लेकिन स्थानीय पटवारी ने जो रिपोर्ट बनाई थी और उसे उच्च अधिकारियों को भेजा था उसमें इन परिवारों को शामिल नहीं किया गया है।इस बारे  स्थानीय पंचायत प्रधान रूपलाल ने इसकी जानकारी बीडीओ और एसडीएम को  दी थी और 26 अक्तूबर को पंचायत प्रस्ताव भी  को भेजा था।लेकिन अभी तक भी इन प्रभावित परिवारों को क्षति वाली लिस्ट में शामिल नहीं किया है।हालांकि एसडीएम सरकाघाट ने इन परिवारों का पुनः सर्वेक्षण करने और स्वयं मौका करने की बात भी की थी लेकिन अभी तक इन्हें लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है और अब ये सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज से भी वंचित हो रहे हैं। इसलिए इन प्रभावित परिवारों का पुनः सर्वेक्षण करने और इन्हें लिस्ट में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगायी है।

भूपेंद्र सिंह ने बताया कि हिमाचल किसान सभा मकान के बदले मकान और ज़मीन के बदले जमीन देने की मांग सरकार से की है और जिन परिवारों के पास ज़मीन नहीं है उन्हें जल्द ज़मीन उपलब्ध करवाई जाए तथा जिन परिवारों ने पहले मकान बना दिये थे और अब वे वर्षा के कारण गिर गए हैं तो उन्हें भी मुआवजा दिया जाए।जबकि अभी इन्हें वंचित रखा जा रहा है।इसके अलावा घरों के आसपास गिरे ल्हासों में डंगे लगाने का कार्य प्राथमिकता पर किया जाये।उन्होंने बताया क अगर प्रशासन ने  परिवारों को क्षति वाली लिस्ट में शामिल नहीं किया गया तो वे प्रभावितों के साथ मिलकर इसके लिए धरना प्रदर्शन करेंगे।

उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकांश परिवार अनुसूचित जाति से संबध रखते हैं।उनके पास अतिरिक्त भूमि  नहीं है और इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी बहुत कमजोर है। दुखदाई पहलू यह भी है कि गदयाहडू गांव का रत्न चंद अपने मकान को खो देने के बाद जिंदगी की जंग भी हार चुका है। उसके परिवार के आठ सदस्य मकान गिरने के बाद बेघर हो गए थे और तंबू में रहने को मजबूर हैं। पता चला है कि कुछ आपदा प्रभावित परिवारों को राहत सूची में दर्ज नहीं किया गया है। चुनाव प्रचार में व्यस्त होने के कारण राज्य से बाहर था।एसडीएम कार्यालय से प्रभावित परिवारों की सूची मांगी गई है। इन परिवारों को उचित सहायता दिलाने की कोशिश की जाएगी।

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