चंडीगढ़। किसानों के लिए निर्विघ्न नहरी पानी सप्लाई, जल स्रोतों की देखभाल और झगड़ों का जल्द और आसान तरीके से समाधान सुनिश्चित बनाने के उद्देश्य से पंजाब विधान सभा में आज ‘‘पंजाब नहरें और जल निकासी बिल-2023’’ पास किया गया। यह बिल जल संसाधन मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा द्वारा पेश किया गया था।
इस सम्बन्धी और अधिक जानकारी देते हुए स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने बताया कि पंजाब नहरें और जल निकासी बिल, 2023 को लागू करने का मुख्य उद्देश्य किसानों को बिना रुकावट नहरी पानी मुहैया करवाना, नहरों, ड्रेनों, नदियों और अन्य प्राकृतिक जल संसाधनों की देख-रेख, मरम्मत, साफ़-सफ़ाई करना, ज़मीदारों की माँगों, शिकायतों और आपसी लड़ाई-झगड़ों का समाधान करने के लिए प्रक्रिया सुनिश्चित बनाने और पानी की बर्बादी को रोकने के लिए नियम और कानून बनाना है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि बिल में व्यवस्था की गई है कि राज्य सरकार नहरों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों को पार करने के साधन मुहैया करवाएगी। नहरों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों और नज़दीकी ज़मीनों के निवासियों की वाजिब सुविधाओं के लिए नहरों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों को पार करने के उचित साधन मुहैया करवाएगी और उनकी देखभाल करेगी। राज्य सरकार समय-समय पर और ज़रूरत पडऩे पर नहर पर पुल या रैंप (फील्ड पाथ, फुट ब्रिज आदि) के लिए एक सामान्य नीति जारी कर सकती है।
इसी तरह खालों की देखभाल और सफ़ाई से संबंधित जमीनदारों के आपसी झगड़ों का निपटारा करना सुनिश्चित बनाया जायेगा। यदि कोई व्यक्ति, किसी खाले के निर्माण या रख-रखाव लिए दूसरों के साथ साझे तौर पर जि़म्मेदार है, या दूसरों के साथ साझे तौर पर खाले का प्रयोग करता है, परन्तु रख-रखाव के तौर पर ऐसे निर्माण की लागत के अपने हिस्से का भुगतान करने या रख-रखाव के लिए अपने हिस्से के काम करवाने में लापरवाही या इन्कार करता है तो मंडल नहरी अफ़सर, आवेदन प्राप्त करने पर इसकी जांच करेगा और उचित आदेश देगा।
उन्होंने बताया कि बिल के अंतर्गत खालों (वॉटर कोरस) के रख-रखाव की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा गिराए गए या बदले गए खालों की बहाली सुनिश्चित बनाई जायेगी। यदि कोई व्यक्ति किसी खाले को नष्ट करता है, बदलता है, बड़ा करता है या रुकावट डालता है या उसे कोई नुकसान पहुँचाता है तो इससे प्रभावित कोई भी व्यक्ति उप-मंडल नहरी अफ़सर को इसकी असल स्थिति में बहाल करने के निर्देश देने के लिए आवेदन दे सकता है।
जब नहरी या नदी के पानी की सप्लाई, किलों या अन्य फ़ौजी इमारतों, छावनी, सिविल स्टेशन, शहरों, कस्बों, रेलवे, सार्वजनिक बगीचों या अन्य सार्वजनिक स्थानों, औद्योगिक इकाईयों, पावर प्लांटों और थोक उपभोक्ताओं, पीने वाले पदार्थों और बोतलबन्द पानी के उद्योग, पानी की सप्लाई (रेलवे और फ़ौज समेत), मछली तालाब और ईंटें बनाने, निर्माण कार्य या कोई अन्य ग़ैर-सिंचाई प्रयोग चाहे टैंक भरकर या सीधे बहाव के द्वारा किया जाता है तो मंडल नहरी अफ़सर द्वारा सरकार से पहले ली गई मंज़ूरी के साथ विशेष दरों पर करारनामे किए जा सकते हैं।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि पानी बर्बाद होने की सूरत में भी जि़म्मेदारी तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि बिल में व्यवस्था है कि अगर कोई व्यक्ति सरकारी नियमों के उलट अपनी किश्ती के द्वारा नहर को या किसी अन्य किश्ती को नुकसान पहुँचाता है तो मंडल कार्यकारी अफ़सर अपने स्तर पर या किसी के द्वारा ऐसी किश्ती को हटा सकता है या अपनी देख-रेख में ले सकता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी जल स्रोत/नहर में रुकावट होने के कारण कोई नुकसान पहुँचता है या लोगों को मुश्किल पेश आती है तो सरकार नोटिफिकेशन के द्वारा ऐसी कोई भी रुकावट को हटा सकेगी।
उन्होंने कहा कि इसी तरह राज्य सरकार नोटिफिकेशन के द्वारा जल उपभोक्ता ऐसोसीएशनों को बना सकती है। ऐसी ऐसोसीएशन्स नहरी अफसरों को सहयोग देंगी। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इस बिल के पास होने से पंजाब राज्य में ‘‘उत्तरी भारत नहर और ड्रेनेज एक्ट, 1873 (दा सैंट्रल एक्ट 1873 VIII), रद्द हो गया है और इस कानून को रद्द करने का निम्रलिखित पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जैसे कोई अर्जी, अपील या संशोधन, जो इस एक्ट के होंद में आने से पहले लम्बित है या इस एक्ट के होंद में आने से पहले पास किए गए किसी आदेश के विरुद्ध दायर की गई। इसी तरह धारा-ए में अपील या संशोधन का कोई अधिकार, यदि कोई हो, तो ऐसा आवेदन, अपील या संशोधन को जारी रखा जाएगा और समर्थ अधिकारी द्वारा रद्द किए गए एक्ट के उपबंधों के अंतर्गत ही निपटाया जाएगा।