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पंजाब सरकार धान की पराली को आग लगाने के मामलों को रोकने के लिए अपने स्तर पर पूरी तरह से प्रयासशील 

चंडीगढ़। यह मामला लम्बे समय से माननीय सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रदूषण का नोटिस लिया जिसमें नवंबर और दिसंबर के दौरान बहुत अधिक आर.डी.एस. वाला प्रदूषण पाया गया है। इस संबंधी जानकारी देते हुए ऐडवोकेट जनरल (ए.जी.) पंजाब गुरमिंदर सिंह ने बताया कि पंजाब द्वारा हलफऩामा दायर करते हुए हमने दलील दी कि पंजाब के किसानों को 30 से 40,000 मशीनें मुहैया करवाने के अलावा 25 प्रतिशत फंड दिल्ली द्वारा, 25 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा और 50 प्रतिशत पंजाब सरकार द्वारा प्रदान करने की ज़रूरत है। पंजाब के पानी के मुद्दे संबंधी हमने कहा कि किसानों को नयी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने के अलावा धान की बजाय अन्य फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस समस्या का समाधान फ़सलीय विविधता को अपनाकर किया जा सकता है। हमने फ़सल अवशेष की खरीद और प्रयोग का सुझाव भी दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पंजाब सरकार द्वारा सभी जिलों की पुलिस और सिविल प्रशासन को धान की पराली को आग लगाने की घटनाओं पर रोक लगाने के सख़्त निर्देश दिए गए हैं। पराली को आग लगाने की घटनाओं को एक बार में रोकना मुश्किल है, परन्तु पंजाब सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। हमने सुझाव दिया है कि पराली को आग न लगाने वाले किसानों को 2000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जानी चाहिए, जिससे उनका मनोबल बढ़ाया जा सके। आने वाले हफ़्तों के दौरान पंजाब में धान की पराली जलाने के मामलों में ओर अधिक कमी देखने को मिलेगी। पिछले साल पराली जलाने के 70 प्रतिशत मामले सामने आए थे, जबकि इस साल इनमें कमी लाकर 47 प्रतिशत की दर पर लाया गया है। 

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