भारतीय शेयर बाजार में आज भी तगड़े सेलिंग प्रेशर में नजर आया. दोपहर के वक्त थोड़ा उठने की कोशिश की, मगर वह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और फिर गिरने लगा. खबर लिखे जाने तक दोनों मुख्स इंडेक्स लगभग 1 फीसदी तक गिर चुके थे. निफ्टी 215 अंक गिरकर 25034.25 पर था, तो 81806 पर खड़ा सेंसेक्स 691.10 अंक टूट चुका था. लगातार 4 दिनों से जारी गिरावट के बाद निवेशकों के मन में संदेह इस बात का है कि आखिर यह बाजार टूट क्यों रहा है? चलिए जानते हैं-
दरअसल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को भारतीय बाजार से अपनी हिस्सेदारी घटाने पर मजबूर कर दिया है. इस मजूबरी के पीछे दो कारण हैं- 1. चीन के शेयर बाजार में आई तेजी, और 2. डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर सेबी द्वारा लगाए नए प्रतिबंध. शेयर बाजारों से मिले शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने गुरुवार को 1.82 अरब डॉलर (लगभग 15,200 करोड़ रुपये) के भारतीय शेयर बेचे, जिससे लगातार तीसरे दिन वे नेट सेलर्स के रूप में उभरे.
1 अक्टूबर को एफपीआई ने 621.4 मिलियन डॉलर (लगभग 5,200 करोड़ रुपये) के भारतीय शेयरों की बिक्री की, जबकि सितंबर के आखिरी दिन उन्होंने 767 मिलियन डॉलर (लगभग 6,400 करोड़ रुपये) के शेयर बेचे. इस लगातार हो रही बिकवाली ने भारतीय बाजार पर बड़ा असर डाला है, जिससे निवेश के इनफ्लो में गिरावट आई है. इस बिकवाली के कारण भारत ने उभरते बाजारों में विदेशी निवेश के मामले में टॉप रैंक खो दिया है.
इसके अलावा, एफपीआई की चिंता भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर नए प्रतिबंध लगाने की योजनाओं को लेकर भी है. इस नियामक कदम ने भारतीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ा दी है, जिससे एफपीआई की बिकवाली और तेज हो सकती है.
इस दौरान, बड़े ट्रेडर और निवेशक अब चीनी बाजार की ओर रुख कर रहे हैं, जहां मेन लैंड के शेयरों में चल रही तेजी का फायदा उठाया जा रहा है. चीन के सीएसआई 300 इंडेक्स में 27% की उछाल आई है, जो सितंबर 30 तक नौ ट्रेडिंग सत्रों में दर्ज की गई. यह उछाल चीन द्वारा घोषित एक प्रोत्साहन पैकेज के बाद आई, जिसने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया और भारत में कमजोर निवेश प्रवाह का एक कारण बना.