चंडीगढ़। पंजाब पुलिस द्वारा पराली जलाने को रोकने के लिए किए जा रहे निरंतर और अथक यत्नों स्वरूप पंजाब में खेतों को आग लगाने के सिर्फ़ 634 मामलों के साथ एक और गिरावट दर्ज की गई, जोकि सोमवार को राज्य में दीवाली के बाद सबसे कम बनती है। यह जानकारी स्पैशल डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (DGP) कानून और व्यवस्था अर्पित शुक्ला, जो पराली जलाने को रोकने संबंधी नोडल अफ़सर भी हैं, ने दी। उन्होंने कहा, ‘‘यह लगातार तीसरा दिन है जब राज्य में पराली जलाने के मामलों में कम से कम 28.8 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है।’’ उन्होंने कहा कि रविवार और शनिवार को राज्य में क्रमवार 740 और 637 खेतों में आग लगाने के केस सामने आए।
ज़िक्रयोग्य है कि पराली जलाने पर पूर्ण रोक को यकीनी बनाने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना करते हुए DGP गौरव यादव ने पराली जलाने के विरुद्ध कार्यवाही की निगरानी करने के लिए स्पैशल डीजीपी अर्पित शुक्ला को पुलिस नोडल अफ़सर नियुक्त किया था। डीजीपी पंजाब की तरफ से राज्य में पराली जलाने के मामलों की समीक्षा करने के लिए सभी सीनियर अधिकारियों, रेंज अफसरों, सीपीज़/ एसएसपीज़ और स्टेशन हाऊस अफसरों (एसएचओज़) के साथ रोज़ाना मीटिंगें की जा रही हैं और उन जिलों, जहाँ पराली जलाने के मामले बहुत ज़्यादा हैं, के एसएसपीज़ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं और उनके खिलाफ FIR भी दर्ज़ की जाएगी।
उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की गई कार्यवाही के बारे विवरण सांझा करते हुए स्पैशल डीजीपी अर्पित शुक्ला ने बताया कि 8 नवंबर, 2023 से अब तक पुलिस टीमों ने 1084 FIR दर्ज की हैं, जब कि 7990 मामलों में 1.87 करोड़ रुपए के जुर्माने किए गए हैं। इस समय के दौरान 340 किसानों के राजस्व रिकार्ड में लाल प्रविष्टियां ( रैड्ड ऐंट्रीज़) भी की गई हैं। पुलिस और सिविल अधिकारियों के 1085 उड़न दस्ते पराली जलाने पर नज़र रख रहे हैं, जबकि सी. पी. / एस. एस. पीज की तरफ से ज़िला स्तर पर किसान नेताओं के साथ मीटिंगें की जा रही हैं और डी. एस. पीज ब्लाक स्तर पर किसान नेताओं के साथ मीटिंगें करके किसानों को जागरूक कर रहे हैं। 8 नवंबर से अब तक कम से कम 2587 ऐसी मीटिंगें हो चुकी हैं।
ज़िक्रयोग्य है कि स्पैशल डीजीपी अर्पित शुक्ला ने ख़ुद कम से कम तीन पुलिस जिलों- होशियारपुर, एस. बी. एस. नगर और जगराओं का निजी तौर पर दौरा करके फील्ड अधिकारियों के साथ मीटिंगें की और पराली जलाने की ज़मीनी स्तर की स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने कहा कि खेतों में आग लगाने के मामलों में यह महत्वपूर्ण गिरावट राज्य में पराली जलाने के खतरे को रोकने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे पुलिस मुलाजिमों और सिविल प्रशासन के अधिकारियों की तरफ से अथक यत्नों का नतीजा है।
उन्होंने एक बार फिर किसानों को सहयोग देने और फसलों के अवशेष को आग न लगाने की अपील की, जोकि वातावरण के साथ-साथ बच्चों/ बुज़ुर्गो की सेहत के लिए भी ख़तरनाक है। गौरतलब है पुलिस स्टेशन के क्षेत्र और आकार के आधार पर काफ़ी संख्या में अतिरिक्त गश्त पार्टियाँ पहले ही सक्रिय हैं, जबकि, उड़न दस्ते भी पराली जलाने पर पैनी नजर रख रहे हैं।