Taaza Khabar 2 Review: ‘लोग बुरे नहीं होते, हालात बुरे होते हैं, झूठी कहावत है, लोग ही बुरे होते हैं…’ ये ‘ताजा खबर 2’ का ही डायलॉग है, तो क्या कहा जाए कि एक्टर बुरे नहीं होते वेब सीरीज बुरी होती है या फिर वेब सीरीज बुरी नहीं होती, एक्टर बुरे होते हैं. ऐसा कहा जा सकता है लेकिन ‘ताजा खबर 2’ के लिए नहीं, यहां एक्टर भी अच्छे हैं और वेब सीरीज भी अच्छी है. हां, एक्टर वेब सीरीज के कंटेंट पर भारी जरूर हैं.
ये कहानी है वंसत गावड़े यानि भुवन बाम की जिन्हें सीजन 1 में वरदान मिला था कि उन्हें हर खबर वक्त से पहले मिल जाएगी और इस वजह से वो अमीर बन जाता है. वो मैच पर सट्टा लगाता है और खुद तो कमा लेता है लेकिन कई लोगों को नुकसान कर जाता है. उन्हीं में से एक है डॉन यूसुफ यानि जावेद जाफरी, अब वसंत यानि वस्या को यूसुफ के 1000 करोड़ देने हैं लेकिन ये कैसे होगा, क्या ताजा खबर आनी बंद हो गई है, क्या वसंत का वरदान उसका श्राप बन गया है, ये जानने के लिए हॉटस्टार पर ताजा खबर सीजन 2 के 6 एपिसोड देखिए.
ये एक अच्छी वेब सीरीज है, भुवन बाम इस सीरीज की जान हैं. भुवन की फैन फॉलोइंग गजब है और इसका फायदा इस सीरीज को मिलना तय है. भुवन ने इस सीरीज से साबित किया है कि कंटेंट क्रिएटर एक्टिंग कर सकते हैं लेकिन यहां बात सिर्फ भुवन बाम की है, सारे क्रिएटर नहीं कर सकते. इस वेब सीरीज में वो सारे मसाले डाले गए हैं जो एक हिंदी फिल्म में होते हैं और 6 एपिसोड करीब 35-35 मिनट के हैं.
कहानी अपनी पेस से आगे चलती है, कहीं पर लव स्टोरी आती हैं तो कहानी खटकती है, ऐसा लगता है कि इसे छोटा किया जा सकता था. भुवन और जावेद जाफरी के सीन इस सीरीज की जान हैं. भुवन के अपने माता-पिता के साथ वाले सीन काफी इमोशनल हैं, कुल मिलाकर ये वेब सीरीज देखने लायक है. हालांकि पहला सीजन इससे थोड़ा सा ज्यादा अच्छा था क्योंकि वो आइडिया तब फ्रेश था लेकिन इसके बावजूद ये सीरीज देखी जानी चाहिए.
एक्टर के तौर पर ये सीरीज भुवन बाम के कई रूप दिखाती है, बेटा, आशिक, दोस्त, पैसे के घमंड में चूर इंसान और हर रूप में भुवन जमे हैं. भुवन ने अपनी एक्टिंग को काफी निखारा है और उनकी मेहनत दिखती है, जबरदस्ती की हीरोपंती नहीं दिखाई गई है. जहां जितनी जरूरी है वहां उतना ही एक्शन है.
जावेद जाफरी ने इस सीरीज को एक नया एंगल दिया है और वो इस रोल में जमे हैं. उन्हें विलेन के रूप में देखकर मजा आता है, भुवन के साथ उनके सीन कमाल के हैं. श्रिया पिलगांवकर ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया है, उनमें एक अलग ही कॉन्फिडेंस दिखता है जो बताता है कि उनमें काफी टैलेंट है और उसका सही इस्तेमाल किया जाना चाहिए. देवेन भोजानी का काम अच्छा है, प्रथमेश परब ने भी अच्छा काम किया है और शिल्पा शुक्ला का काम भी अच्छा है. बाकी के सारे कलाकारों की एक्टिंग भी ठीक है.