Indian Railway Story: राजधानी दिल्ली का ये रेलवे स्टेशन वीरान पड़ा है. चारों ओर सन्नाटा, उदासी तो मानो इस रेलवे स्टेशन का स्थायी भाव बन गया हो.न ट्रेन दिखती है और न ही पैसेंजर्स. गुमनाम हो चुके इस रेलवे स्टेशन ने बंटवारे का दर्द करीब से देखा है. बंटवारे के बाद देश छोड़ रहे सैकड़ों मुसलमानों की सिसकियां सुनी हैं. नम आंखों से अपने वतन और अपनों से दूर जाते लोगों का दुख देखा है. ये किस्सा है दिल्ली के लोधी कॉलोनी रेलवे स्टेशन का दिल्ली स्थित रेलवे का लोधी रोड रेलवे स्टेशन इतिहास के पन्नों में गुम हो चुका है. साल 1930 में बने इस रेलवे स्टेशन ने विभाजन के दर्द करीब से झेला है. दरअसल विभाजन के बाद साल 1947 में इसी रेलवे स्टेशन से लाहौर के लिए ट्रेन चलाई गई थी.
लोधी कोलॉनी का ये रेलवे स्टेशन दिल्ली परिक्रमा रेलवे का एक हिस्सा है, जो दिल्ली के चारों ओर एक छोटा सा परिक्रमा मार्ग है. साल 1943 में इस रेलवे स्टेशन से ट्रेनों के चलने का सिलसिला शुरू हुआ. यहां से दिनभर में केवल एक ही ट्रेन चलती थी. वो ट्रेन दिल्ली से लोधी कॉलोनी के बीच चलती थी. बाद में इसे दूसरे स्टेशनों से जोड़ा गया. भारत-पाकिस्तान के बाद इसी रेलवे स्टेशन से लाहौर के लिए स्पेशल ट्रेन शुरू की गई. लोधी कोलॉनी से चलने वाली ट्रेन महज 12 रुपये में दिल्ली का सफर कराती हैं. 35 किलोमीटर लंबे रिग रेलवे नेटवर्क के तहत ये रेलवे स्टेशन शिवाजी ब्रिज , तिलक ब्रिज, गाजियाबाद , फरीदाबाद, रोहतक, सदर बाजार रेलवे स्टेशनों से गुजरता है.
दिल्ली के इसी रेलवे स्टेशन से लाहौर के लिए ट्रेन चलती थी. इसी रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर पाकिस्तान पहुंचे थे. लोगों ने हमेशा के लिए भारत को अलविदा कह दिया था. इस स्टेशन ने लोगों के अपनों से बिछड़ने और सिसकियों को महसूस किया है. ये रेलवे स्टेशन पाकिस्तान के लोगों के दिलों से जुड़ा है. इसी स्टेशन से विभाजन के बाद सैकड़ों, हजारों लोगों ने पाकिस्तान तक का सफर किया, आज भी लोग उस दिन को याद कर भावुक हो जाते हैं.