मणिपुर में कई महीनो से चल रही हिंसा अभी तक नहीं थमी और कब तक थमेगी यह कहना भी मुश्किल हैं। इस हिंसा के कारण कई लोगों के घर उजड़ गए और कई लोगो की जान भी चली गई। वही, मणिपुर में कुछ महीने पहले हुई हिंसा को लेकर जांच के लिए दिल्ली समेत 6 राज्यों से 14 IPS और 6 इंस्पेक्टरों को भेजा गया है। वहां बनाई गईं 42 SIT 3 हजार मामलों की जांच कर रही हैं, लेकिन इस मामले में सही ढंग से जांच करने के लिए अधिकारियों की कमी पड़ने से काफी दिक्कत आ रही हैं। वही, जांच से जुड़े अधिकारियों का यह कहना है कि इस संख्या बल के मुताबिक, 1 इंस्पेक्टर पर 7 SIT यानी करीब 500 मामलों की निगरानी करने की जिम्मेदारी है, जो व्यावहारिक नहीं है।
मणिपुर हिंसा की जांच CBI को सौंपे जाने पर केंद्र सरकार ने दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश से 14 IPS (डीसीपी व एसपी रैंक) व 6 इंस्पेक्टरों को जांच में मदद के लिए भेजा है। ये अधिकारी SIT जांच की निगरानी करेंगे। दिल्ली से सबसे अधिक तीन IPS हरेंद्र कुमार सिंह, श्वेता चौहान और ईशा पांडे का जांच के लिए चयन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि एक IPS तीन SIT की निगरानी तो कर सकते हैं, लेकिन एक इंस्पेक्टर को सात SIT की निगरानी करने में दिक्कत आ सकती है, क्योंकि एक इंस्पेक्टर के जिम्मे 500 मामले होंगे। जिस कारण अधिकारीयों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता हैं।
मणिपुर में चर्च और अन्य धार्मिक स्थलों, घरों, दुकानों और कार्यालयों में हिंसा के कारण आग लगा दी गई थी। वही, बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट भी उतारा था। सिर्फ इतना ही नहीं लोगों को जिंदा जला दिया गया, लूटपाट, दुष्कर्म और छेड़खानी की घटनाएं हुईं। लोगों को गंभीर चोट पहुंचाई गई। वही, अब तक इनमे से किसी भी मामले पर कार्यवाई नहीं की गई। लेकिन अब इससे संबंधित सभी मामलो को दर्ज कर लिए गए हैं। जांच के लिए 4 श्रेणी बनाई गई है।
दिल्ली से गए एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि वहां भाषाई दिक्कत है। स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है। दोनों समुदाय एक-दूसरे को दुश्मन की नजर से देख रहे हैं। लोगों में अब भी भय का माहौल है। बड़ी संख्या में लोग राहत शिविर में रह रहे हैं। इलाका भी एक जैसा नहीं है, कहीं मैदानी तो कहीं पहाड़ी क्षेत्र है। इसके लिए इंस्पेक्टरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही मणिपुर हिंसा की जांच के लिए दूसरे राज्यों से अधिकारियों को भेजा गया है। 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट सौंपी जानी है। हालांकि, मामलो की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों की कमी पड़ने के चलते सुप्रीम कोर्ट से इस सम्बन्ध में मदद मांगी गई हैं। वही, अब पुलिस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए जाने वाले निर्णय का इंतज़ार हैं।