Bahraich Violence: हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच उत्तर प्रदेश में रिश्ते तनावपूर्ण दिखाई दे रहे हैं. यूपी में हालात ये हैं कि अगर धार्मिक टिप्पणी इस्लाम के खिलाफ है, तो मुस्लिम समुदाय का प्रदर्शन जायज है. लेकिन अगर टिप्पणी हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ है, तो हिंदू समुदाय का प्रदर्शन, राजनीतिक और भड़काने वाला कहा जाता है. इस महीने 2 बड़ी घटनाएं हुई हैं.
पहली घटना बहराइच में हुई, जिसमें मूर्ति विसर्जन के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से हुए पथराव में मां दुर्गा की मूर्ति को नुकसान पहुंचा. इसके बाद लोग भड़क गए और खूब हंगामा हुआ. एक व्यक्ति की हत्या तक कर दी गई. इसमें आरोप हिंदू समुदाय पर लगाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये हंगामा सुनियोजित था.
दूसरी घटना दो दिन पहले मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में हुई है. सोशल मीडिया पर पैगंबर के खिलाफ की गई टिप्पणी से यहां का मुस्लिम समुदाय भड़क गया. उन्होंने सड़क पर हंगामा किया. आरोपी के घर पर पथराव भी किया. जबकि आरोपी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था.
मुजफ्फरनगर वाली घटना पर AIMIM के नेता शौकत अली का कहना है कि पैगंबर पर हुई टिप्पणी के बाद, मुस्लिम समुदाय के पथराव को जायज बता रहे हैं. ये दोनों घटनाएं आपके सामने हैं. जो हुआ वो आपके सामने है. लेकिन सही या गलत का पैमाना क्या है. सही और गलत अपराध से तय होगा या ये आरोपी के धर्म से तय होगा.
क्या बहराइच में रामगोपाल का मरना सुनियोजित था? क्या बहराइच में दुर्गा मूर्ति पर पथराव पहले से तय कार्यक्रम था? क्या बहराइच में हिंदुओं का गुस्सा राजनीति से प्रेरित गुस्सा था? आपको भले ही ऐसा ना लगता हो, लेकिन समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ऐसा ही मानते हैं.
क्या बहराइच में वो सब ना होता, अगर यूपी में उपचुनाव ना होते? आपने हमने…वो सबकुछ अपनी आंखों से देखा जो बहराइच में हुआ. मूर्ति विसर्जन यात्रा पर हुआ पथराव हमने देखा. निर्दोष रामगोपाल को गोली लगते हमने देखा. हमने बहराइच के हिंदू देवी के अपमान पर हिंदुओं का गुस्सा देखा. लेकिन समाजवादी पार्टी इसे हिंदू भावनाओं को आहत होने वाली घटना नहीं बल्कि बीजेपी की चुनावी तैयारी बता रही है.
सपा नेता राम गोपाल यादव ने बहराइच की घटना पर कहा कि कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हो रहा, दंगा कराया गया है. जो लोग दंगा कर रहे थे उनमें से एक आदमी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई. वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा, दंगे पर बात करें उन्हें ये अधिकार नहीं अखिलेश राज में हर दिन दंगा हुआ. अपराधियों के पीछे कहीं न कहीं SP नेता का हाथ है.
यूपी में 10 में से 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव हो रहे हैं. बीजेपी हिंदुत्व और विकास के मुद्दे को लेकर मैदान में है, तो समाजवादी पार्टी पीडीए कार्ड लेकर. बहराइच हिंसा अब इस चुनाव का मुख्य मुद्दा बन गया है. यूपी सरकार ने सोचा था कि बहराइच में बुलडोजर एक्शन दिखाकर, चुनावी क्षेत्रों के लोगों को अपने पक्ष में कर लेंगे, लेकिन हाईकोर्ट ने 15 दिन की रोक लगाकर, इस प्लान पर पानी फेर दिया. हाईकोर्ट के फैसले से वो लोग राहत की सांस ले रहे हैं, जिनके घर पर बुलडोजर चलना था.
वैसे उपचुनाव को देखते हुए बहराइच पर पूरे प्रदेश की नजर है. उपद्रवियों पर एक्शन के बाद अतिक्रमणकारियों पर एक्शन लेकर, सत्ताधारी बीजेपी हीरो बन सकती थी. लेकिन कोर्ट ने फिलहाल खेल खराब कर दिया. वही समाजवादी पार्टी बहराइच हिंसा पर बीजेपी को विलेन बनाने के मिशन पर है