Jitiya vrat katha 2024: तृतीया व्रत कथा संतान के लिए होती है। महिलाएं जितिया व्रत 25 सितंबर को रख सकती है। ऐसे में यदि आप इस दिन व्रत कथा पढ़ने वाली हैं तो यहां दी गई व्रत कथा आपके काम आ सकती है। ये कथा महाभारत काल से संबंधित है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि जितिया व्रत (Jitiya Vrat Katha) पर आप कौन सी कथा पढ़ सकते हैं।
बता दें कि यह कथा महाभारत से जुड़ी है। कहते हैं महाभारत युद्ध के बाद अश्वत्थामा अपने पिता की मृत्यु के कारण बेहद क्रोध में था। ऐसे में उसने पांडवों से बदला लेने की सोची। वह उनके शिविर में घुस गया और सो रहे पांडवों के बच्चों को मार दिया। उसे लगा कि वह बच्चे नहीं बल्कि पांडव हैं। लेकिन इस अपराध के कारण अर्जुन को क्रोध आ गया और उसने अश्वत्थामा को गिरफ्तार कर उसकी मणि निकाल ली। इससे अश्वत्थामा को और क्रोध आया और उसने अभिमन्यु की पत्नी उत्तर के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया।
श्री कृष्ण ने उतरा की संतान को बचाने के लिए अपने सभी पुण्य का फल उसे दे दिया और उसे बचा लिया। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण की कृपा से उतरा के बच्चे को कुछ नहीं हुआ। इस घटने के बाद उतरा के पुत्र का नाम जीवित्पुत्री का नाम दिया गया। यही पुत्र आगे चलकर परीक्षित बने। ऐसे में तभी से संतान की लंबी उम्र के लिए ही जितिया व्रत रखा जाता है और माताएं अपने बच्चे की अच्छी सेहत के लिए जितिया व्रत भी रखती हैं।