धर्मशाला ,विपिन
आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में पूर्व मंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा ने कहा की हिमाचल प्रदेश में हो रहे पंचायती राज चुनाव में मतदाता सूचियों में भारी धाँधली देखने को मिली है प्रदेश चुनाव आयोग और राष्ट्रीय चुनाव आयोग की सूचियों में भारी अंतर है लगभग हर पंचायत से सैकड़ों मतदाता सूची से ग़ायब हैं लगभग हर पंचायत से 50 से लेकर 250 वोट तक मतदाता सूची में नहीं है।

हास्यास्पद बात ये है कि जिन लोगों ने पिछले पंचायती चुनाव में मतदान किया है और पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान किया है और जिनके वोटर कार्ड भी बने हुए हैं वो मतदाता सूची से ग़ायब हैं।

ऐसा लगता है जैसे की सोची समझी साज़िश के तहत कुछ लोगों के नामों को काट दिया गया है अधिकांश मतदाता वोह है जो कांग्रेस की विचारधारा से हैं और आश्चर्य की बात है कि पिछले पंचायत चुनावों में मेरा ख़ुद का वोट और उसके बाद विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में मेरा नाम था लेकिन इस बार नई मतदाता सूची आयी है उसमें नाम ही काट दिया गया जब इस प्रकार की लापरवाही या साज़िश मुझ जैसे व्यक्ति के साथ हो सकती है तो सामान्य व्यक्ति कैसा महसूस कर रहा होगा और अपनी फरियाद लेकर कहाँ जा पाएगा।

इस सारे मामले को देखते हुए मैंने निर्णय लिया है कि माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर प्रदेश चुनाव आयोग से ये पूछा जाए कि विधानसभा चुनावों की मतदाता सूची पिछले पंचायती राज चुनावों की मतदाता सूची और अबकी बार जो पंचायतीराज के चुनाव हो रहे हैं उस सूची में इतना बड़ा अंतर क्यों है और प्रदेश के हज़ारों मतदाता मतदान करने से क्यों वंचित कर दिये गए और अगर इसी प्रकार छल कपट से प्रदेश सरकार पंचायती राज चुनावों को हाईजैक करना चाहती है तो चुनाव करवाने का औचित्य क्या है, सीधे सीधे लोगों को नॉमिनेट कर दिया जाए।
प्रजातंत्र में इस प्रकार का छल कपट पहली बार देखने को मिला है इतने बड़े स्तर की धाँधली और वो भी पंचायती राज चुनावों में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
चुनाव आयोग को इस के लिए अलग व्यवस्था करनी होगी वरना परिणाम गम्भीर होंगे।