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Monthly Archives: May 2022

राहगिरि के माध्यम से खेलो इंडिया गेम्स की रिले टोर्च ने दिया सभी प्रदेशवासियों को दिया न्यौता

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के इतिहास में पहली बार मेजबान हरियाणा ने रिले टोर्च के माध्यम से प्रदेश में खेल भावना जागृत करने का प्रयास किया। ‘राहगिरि’ नाम की यह दौड़ सात मई को पंचकुला से शुरु हुई जोकि गेम्स के सेंट्रल वैन्यू ताऊ देवी लाल स्टेडियम में उद्घाटन समारोह …

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रिश्तों की दुहाई देकर मोदी ने हिमाचल को फिर ठगा : सुक्खू

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष व स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर हिमाचल प्रदेश की जनता को ठगा है। उनके दौरे से लोगों को अनेक सौगातें मिलने की उम्मीदें थी, लेकिन वह झुनझुना थमाकर निकल लिए। …

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वर्ल्ड नो टोबैको डे पर 100 सेक्टर 17 अंडर पास में चंडीगढ़ की सबसे बड़ी आर्ट सिगरेट द्वारा किया नो टोबेको को जागरूक

वर्ल्ड नो टोबैको डे पर 200 फुट की सिगरेट आर्टवर्क द्वारा किया जागरूक सेक्टर 17 अंडर पास में चंडीगढ़ की सबसे बड़ी आर्टवर्क सिगरेट बनाकर एन ए कल्चरल सोसायटी द्वारा नो टोबेको को शहरवासियों को जागरूक भारत 267 मिलियन से अधिक तंबाकू उपयोगकर्ताओं का योगदान करते हुए दुनिया में एक …

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भ्रष्टाचार पर बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

एक तरफ सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की बात कह रही और और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर रही है,लेकिन जिले में 2018 में ही जाँच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नही की गई है,एसडीएम की जाँच में नगर पंचायत अध्यक्ष और …

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फिर हिमाचल की जनता से छल कर गए मोदी- दीपक शर्मा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर हिमाचल प्रदेश की जनता वे साथ छल किया है।उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री हिमाचल को विशेष आर्थिक पैकेज देकर 70 हज़ार करोड़ के कर्ज से राहत देते।12 लाख बेरोजगारों को रोज़गार के अवसर सृजित करते।पांच वर्ष पूर्व घोषित किए गए 69 …

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सुक्खू के दावे को पुख्ता कर गए मोदी,नही लिया मंच से अनुराग का नाम ।। नरेश ठाकुर।।

आज दिनांक 31/05/2022 को जारी प्रैस विज्ञप्ति मैं हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता नरेश ठाकुर ने कहा कि भाजपा की शिमला रैली केंद्र सरकार के 8 वर्ष कार्यकाल पूर्ण होने पर मनाई जा रही थी बह पूरी तरह फ्लॉप रही एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हिमाचल …

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अम्बाला कैंट सिविल अस्पताल में 48 घंटे में उपलब्ध होगी बॉयप्सी की रिपोर्ट : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा में अम्बाला छावनी स्थित नागरिक अस्पताल इंडोस्कोपी, ईआरसीपी और क्लेनोस्कोपी करने वाला पहला अस्पताल है तथा यहां पर बॉयप्सी की रिपोर्ट भी 48 घंटे के अंदर उपलब्ध करवाने का काम किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने …

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हाईब्रिड चावल द्वारा उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है, और प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल में बचत की जा सकती है

हवा का प्रदूषण भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। उत्तर भारत में मुख्यतः दिल्ली, पंजाब, और हरियाणा हर साल सर्दियों के मौसम में स्मॉग की विषैली चादर में ढंक जाते हैं। प्रदूषण बढ़ाने में हालांकि अनेक चीजों का हाथ है, लेकिन इस समस्या के लिए ध्यान पूरी तरह से दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली के ऊपर चला जाता है। किसानों का कहना है कि चावल की फसल काटने के बाद वो बची हुई पराली को जमीन से न तो काट सकते हैं और न ही उखाड़कर निकाल सकते हैं, क्योंकि गेहूं की फसल बोने से पहले उन्हें इतना समय मिलता ही नहीं है। डॉ. शिवेंद्र बजाज, एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया एवं अलायंस फॉर एग्री इनोवेशन इस समस्या का समाधान तभी हो सकता है, जब किसानों को फसल की कटाई के बाद पराली हटाने के लिए पर्याप्त समय मिले और उन्हें वो जलानी न पड़े। इस समस्या का एक तर्कपूर्ण समाधान यह हो सकता है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच की अवधि को बढ़ाया जाए। और यह तभी हो सकता है, जब हम चावल के लिए ऐसे बीज की किस्मों का इस्तेमाल करें, जो जल्दी फसल तैयार कर दें। वर्तमान में पंजाब और हरियाणा में पानी की कमी और बिजली की कटौती की दो बड़ी समस्याएं कृषि क्षेत्र में आ रही हैं। पंजाब में भूमिगत जल का स्तर बहुत तेजी से घट रहा है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि साल 1998 से 2018 के बीच 22 जिलों में से 18 जिलों में पानी हर साल एक मीटर नीचे खिसक गया। पिछले कुछ दशकों में किसानों ने हर समय पानी प्राप्त करने के लिए ट्यूब वैल की जगह नहरों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, हालांकि, इससे पानी का स्तर घटा। इससे बिजली की खपत पर भी असर पड़ा। अब राज्य में, खासकर ग्रामीण इलाकों को कोयले की कमी के कारण अनिर्धारित बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में लंबे समय में तैयार होने वाली और अत्यधिक पानी की खपत करने वाली फसलों की खेती से अप्रत्याशित खर्च बढ़ सकते हैं, जिससे दीर्घकाल में जाकर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।डॉ. शिवेंद्र बजाज, एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया एवं अलायंस फॉर एग्री इनोवेशन हाईब्रिड चावल इसका एक व्यवहारिक समाधान है, जिसका क्रियान्वयन सुगमता से और आसानी से किया जा सकता है। हाईब्रिड चावल का उत्पादन दो अनुवांशिक रूप से अलग-अलग किस्मों के संकरण द्वारा होता है। चावल की हाईब्रिड किस्में ज्यादा जल्दी परिपक्व होकर 110 दिनों में फसल तैयार कर देती हैं। दूसरी तरफ, इनब्रेड ओपन पॉलिनेटेड किस्मों (ओपीवी) द्वारा फसल तैयार होने में 160 दिनों तक का समय लगता है। इसलिए हाईब्रिड चावल द्वारा खरीफ फसल की कटाई और रबी फसल की बुवाई के बीच का समय अंतराल बढ़ जाएगा और किसानों को जल्दबाजी में फसल जलाने का निर्णय नहीं लेना पड़ेगा। वर्तमान में पंजाब के किसान चावल की पूसा-44 किस्म पर निर्भर हैं, क्योंकि इसकी पैदावार की क्षमता बहुत उच्च है। लेकिन यह फसल की सबसे पुरानी किस्मों में से एक है, जिसकी फसल तैयार होने में 155 से 160 दिन लगते हैं। अन्य महत्वपूर्ण किस्मों, जैसे बासमती के लिए भी 140 से 145 दिनों का समय लगता है। हाईब्रिड चावल इनब्रेड किस्मों की तुलना में कम पानी का इस्तेमाल कर ज्यादा संख्या में अनाज उत्पन्न करती हैं। एक किलो हाईब्रिड चावल उगाने के लिए लगभग 1750 लीटर पानी की जरूरत होती है, जबकि इनब्रेड चावल का एक किलो उगाने के लिए यह जरूरत बढ़कर लगभग 3500 लीटर तक पहुंच जाती है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) ने हाईब्रिड चावल की कुछ किस्में विकसित की हैं, जो जल्दी परिपक्व होती हैं और कम पानी का इस्तेमाल करती हैं। प्रयोगों द्वारा प्रदर्शित किया जा चुका है कि हाईब्रिड चावल की किस्में ज्यादा शक्तिशाली और ज्यादा स्थिर बीज प्रदान करती हैं। शक्ति जितनी ज्यादा होगी, पर्यावरण की विपरीत स्थितियों का सामना करने की पौधे की क्षमता उतनी ही बेहतर होगी। हाईब्रिड चावल की किस्मों द्वारा पंजाब एवं देश के अन्य किसानों को काफी बड़े फायदे मिल सकते हैं। जल्दी परिपक्व होने के अलावा हाईब्रिड चावल की किस्म अच्छी गुणवत्ता का अनाज प्रदान करती है, फसल की बेहतर पैदावार देती है, बीमारियों, कीटों और खरपतवार के प्रति ज्यादा प्रतिरक्षा प्रदर्शित करती है और मौसम के उतार-चढ़ाव के लिए यह फसल ज्यादा दृढ़ होती है। इतने फायदों के बाद भी हाईब्रिड चावल का व्यापक इस्तेमाल नहीं हो रहा। कम अवधि, कम पानी की खपत, बिजली की कम खपत, और मौसम के प्रति दृढ़ता मौजूदा इनब्रेड चावल की किस्मों के मुकाबले हाईब्रिड चावल के मुख्य फायदे हैं। उत्तर भारत के राज्यों में किसानों को ज्यादा पैदावार, खेत के कम खर्च, और पर्यावरण पर बेहतर असर के लिए हाईब्रिड चावल की किस्मों का अपनाया जाना जरूरी है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि हाईब्रिड चावल उगाने पर पराली को जलाना नहीं पड़ेगा, और चावल की खेती वाले एवं आस पास स्थित इलाकों में पर्यावरण और स्वास्थ्य की समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी। किसानों के कल्याण एवं हमारे स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकार, किसान संगठनों और उद्योग द्वारा हाईब्रिड चावल को अपनाए जाने के लिए समन्वित प्रयास किए जाने की जरूरत है।

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पट्टा में बैटरियां चुराने वाली गैंग का सदस्य पकड़ा

जवाली पुलिस स्टेशन के अंर्तर्गत पट्टा गांव में आज सुबह लोगों ने बैटरियां चुराने वाली गैंग के एक सदस्य को पकड़ा है। यह आरोपी गाड़ी में चोरी की गई बैटरियां ले जा रहा था। आरोपी का दूसरा साथी भागने में सफल हो गया। मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह एक …

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गौरव डोगरा द्वारा यूपीएससी परीक्षा में शानदार रैंक हासिल करना गर्व की बात : राजेंद्र राणा

जिला हमीरपुर के सुजानपुर सब-डिवीजन गौरव डोगरा ने यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करके जिला का मान बढ़ाया है। नौकरी के साथ परीक्षा की तैयारी गौरव डोगरा ने पूरे देश में 597वां रैंक हासिल किया है। गौरव डोगरा की उपलब्धि पर सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा व कांग्रेस सोशल मीडिया के …

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