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निर्वासित तिब्बतियन सरकार की ओर से तिब्बत के इतिहास, सभ्यता और संस्कृति से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया

(विपन शर्मा)- निर्वासित तिब्बतियन सरकार की ओर से तिब्बत के इतिहास, सभ्यता और संस्कृति से लवरेज जिस संग्रहालय की स्थापना आज से ठीक एक साल पहले अपने संसद भवन के साथ की थी आज उसकी सालगिरह पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस कार्यक्रम में भारत सरकार की अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य रिंचेन ल्हामो ने भी बतौर मुख्यतिथि शिरकत की, इस दौरान उन्होंने तिब्बत और तिब्बतियन इतिहास को बड़े ही नजदीक से समझने और देखने का प्रयास किया, हालांकि तिब्बतियन की ओर से अपने संग्रहालय को स्थापित किये हुये 23 साल गुजर गये हैं, और इसकी स्थापना बाकायदा बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा की ओर से अपने ही मंदिर के नजदीक साल 2000 के अप्रैल माह में की थी.

मगर वक्त बदलने के साथ केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन ने वहां जगह कम होने के चलते इसे सीटीए के साथ ही शिफ्ट करवाते हुये यहां आवाजाही करने वालों को इसे दो भाषाओं में तब्दील कर दिया, जिसमें से पहली तो तिब्बतियन ही रही जबकि दूसरी अंग्रेजी थी, मगर अब वक्त के साथ तिब्बतियन इतिहास को और ज्यादा लोगों तक कैसे पहुंचाएं इसके लिये सीटीए ने ऑडियो लैंग्वेज के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने के लिये इसमें पांच अन्य भाषाओं जिसमें हिंदी और अंग्रेजी को भी शामिल कर लिया गया है, इस बाबत जानकारी देते हुये तिब्बत मयूज्यिम के निदेशक तेंजिन तोपतेन ने कहा कि आज एक साल पूरा हो गया है और वो इसी की सालगिरह सेलिब्रेट कर रहे हैं, तिब्बत का इतिहास बेहद पुराना और समृदध है जिसे जन जन तक कैसे पहुंचायें बस इसी दिशा में केंद्रीय तिब्बतियन प्रशासन बल दे रहा है.

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