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प्रशासनिक अधिकारी आश्वासन जरूर दें लेकिन उतनी ही फुर्ती से लंबित कार्यों को पूरा भी करेंः अवि भसीन

चंडीगढ़ 11 अक्टुबर 2023ः लघु भारती उद्योग, चंडीगढ़ ईकाई के अध्यक्ष अवि भसीन का कहना है कि यदि प्रशासनिक आलाअधिकारी चंडीगढ़ उद्योग जगत से जुड़े व्यापारियों की लंबित पड़ी मांगों पर आश्वासन न दें। बल्कि, समस्याओं का समाधान कर उन्हें इससे उभारें। अवि भसीन ने एक प्रैस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि पिछले कई वर्षों से समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई हैं, और लंबित पड़ी मांगों की फाइलें सरकारी कार्यालयों में धूल की चादर ओढे़ पड़ी हैं, जिसका सीधा असर व्यापारियों के व्यवसाय पर पड़ रहा है, जिससे उनमें निराशा का माहौल बना हुआ है और बढ़ता जा रहा है। अवि भसीन ने बताया कि यदि प्रशासन उद्योगपतियों की लम्बित पड़ी मांगों पर गौर करे तो यह सभी मांगें व्यापारियों के साथ शहरवासियों के हक में भी है। इन मांगों से उन्हें कहीं न कहीं राहत मिलेगी। लेकिन प्रशासन सिर्फ आश्वासन ही देता आया है, प्रयास की कोई किरण नज़र नही आई।

उन्होंने बताया कि एमएसएमई एक्ट तथा कन्वर्जन पाॅलिसी के साथ कई अन्य गंभीर मुद्दे हैं। जो शहर को पीछे की ओर धकेल रहे हैं। क्योंकि पालिसी न लागू होने के कारण शहर पिछड़ता जा रहा है। एमएसएमई एक्ट 2006 जिसको पार्लियामेंट में मान्यता मिल गई हैै लेकिन चंडीगढ़ में आधा अधूरा लागू हुआ है। एमएसएमई यदि पूर्ण रूप से लागू होता है तो 90 प्रतिशत समस्याएं ठीक हो जाएंगी और व्यापार फिर से पटड़ी पर आ जाएगा तथा व्यापारी अपना व्यापार यहां चला व बढ़ा पाएगें।

अवि भसीन ने कहा कि लीज होल्ड से फ्री होल्ड एक लम्बित पड़ा हुआ मुद्दा है यदि यह पाॅलिसी आ जाती है तो इससे नये स्टार्ट-अप, नये व्यापार में निवेश बढ़ेगा जिससे शहर को एक पहचान मिलेगी और प्रशासन को राजस्व मिलेगा और इसके साथ ही बेरोजगारी में ही सुधार होगा। उन्होंने बताया कि 2019 की इंडस्ट्रियल पाॅलिसी के अंर्तगत प्रशासन ने बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) पाॅलिसी लेकर आया जिससे व्यापारी वर्ग को बहुत ही नुकसान उठाना पड़ा। इतना ही नही इससे खुद का बनाया हुआ माल भी आम आदमी को बेचना दुभर हो गया। जबकि प्रशासन को बी2सी (बिजनेस टू कस्टमर नीति) को अपनाकर व्यापारियों की समस्या का निवारण करना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में उद्योग के लिए पड़ोसी राज्यों की तर्ज पर अतिरिक्त एफएआर का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक उद्योगों की फायर सेफ्टी की बात है कि प्रशासन द्वारा इस कार्य के लिए कागजी कार्यवाही इतनी अधिक है और व्यापारियों के पास प्रॉपर्टी टाइटल क्लीयर न होने के कारण मालिकाना हक नही है जिस कारण फायर एनओसी प्राप्त नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि कागजी कार्यवाही को कम करने के संबंध में कई बार लिखित रूप से नगर निगम व प्रशासन को अवगत करवाया गया है, लेकिन इस संबंध में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रशासन को सबसे पहले सुरक्षा को एहमियत देनी चाहिए ना कि उन्हें कागजों में उलझाना चाहिए।

अवि ने कहा कि अब यदि ईवी (इलैक्ट्रोनिक व्हीकल) की बात की जाएं तो पाॅलिसी पर प्रशासन को पुर्नविचार करने के निर्देश दिए जाएं कि ईवी वाहनों के साथ साथ पैट्रोल डीजल से संचालित वाहनों की रजिस्ट्रेशन भी जारी रखी जाए। ईवी पाॅलिसी के कारण ऑटोमोबाइल विक्रेता चंडीगढ़ से रातों रात पलायन कर रहे हैं। इस पाॅलिसी के कारण ऑटोमोबाइल विक्रेताओं को बहुत बड़ा झटका लगा है। प्रशासन को उपर्युक्त मांगों पर न जाने कितने ही मांग पत्र इन्हें पूरा करने के लिए सौंपे गए हैं लेकिन कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे आश्वासन जरूर दें लेकिन उतनी ही फुर्ती से लंबित कार्यों को पूरा करें।

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