सरकाघाट। हिमाचल किसान सभा धर्मपुर खण्ड कमेटी ने गत दिनों वर्षा से हुई तबाही के बाद प्रशासन ने नुक़सान के आकलन करके उसकी भरपाई के बारे में अपनाई जा रही प्रक्रिया और उसमें हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है और इसमें तेज़ी लाने और सुधार करने की मांग की है। सभा के खंड अध्यक्ष रणताज राणा महासचिव बाला राम और पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जो नुक़सान का आकलन किया गया है उसमें से उन सभी घरों, गौशालाओं और भूमि को नुक़सान के दायरे में नहीं लिया गया है।
यहां तक कि बहुत से घर जिनमें दरारें पड़ गई है और उनके आसपास की ज़मीन धंस गई है उसे भी डैमेज़ रिपोर्ट में नहीं लिया गया है। कई घर और बस्तियां जिन्हें प्रशासन ने ख़ाली करवा दिया है, उन्हें अभी तक असुरक्षित करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है और ये सारा काम मौखिक रूप में ही किया जा रहा है। जबकि इसकी अधिसूचना जारी होनी चाहिए थी। यही नहीं गांवों में बहुत से रास्ते टूट गए हैं जिनका पुरनिर्माण करने में लाखों रुपये खर्च होंगे। लेकिन इन्हें हर जगह मनरेगा के तहत ही बनाने की बातें की जा रही है। जबकि मनरेगा के बजट और सेल्फ़ पहले ही बन जाता है। दूसरा प्रभावितों को मौखिक रूप में ये बोला जा रहा है कि वे ही वेंडर्स बन जाएं और ख़ुद ही सीमेंट और अन्य सामग्री क्रिया करें।
जबकि नियमानुसार खरीद के लिए जीएसटी नंम्बर होना ज़रूरी है। साथ ही जिसने भी डंगे लगाने हैं उन्हें बीडीओ या पंचायत सचिव को लिखित में स्वीकृति देनी चाहिए। लेक़िन ऐसा नहीं हो रहा है। जिन परिवारों को किराए पर मकान नहीं मिल रहे हैं, उन्हें किसी सरकारी भवन में ठहराया जाए और उनके लिए अस्थाई रूप में शेड बनाए जाए। यही नहीं कई परिवारों ने मवेशी भी पाले हुए हैं उन्हें रखने की भी व्यवस्था करने की ज़रूरत है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि बहुत से परिवार जो इस त्रासदी में बेघर हुए हैं उनमें अधिकांश अनुसूचित जाति से सबंधित हैं जिन्हें सुरक्षित जगहों पर घर बनाने के लिए जल्दी ज़मीन आवंटित की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इन सब मुद्दों के बारे में 25 सितंबर को धर्मपुर में एसडीएम और बीडीओ को माँगपत्र सौंपने का कार्यक्रम है जिसमें प्रभावित व्यक्ति भी भाग लेंगे।