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एफआरए में मकानों के बाद अब खेतों के दावों पर गंभीर हुआ प्रशासन

केलंग। वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत लाहुल स्पीति में मकानों के बाद अब खेतों के पट्टे मिलने की उम्मीद जगी है। एफआरए के उप मंडल स्तरीय कमेटी ने लोगों से अपने खेतों के दावे प्रस्तुत करने की अपील की है। केंद्र सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत लोगों को 2005 से पहले वन भूमि पर कब्जो को नियमित करने की व्यवस्था दी है। अभी तक केवल वन भूमि पर बने मकानों को अधिनियम के अंतर्गत नियमित करने की प्रक्रिया चल रही थी। इसी सिलसिले में वीरवार को केलांग में हिमधरा पर्यावरण समूह के तत्वाधान में एसडीएम रजनीश शर्मा की मौजूदगी में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें अधिनियम के तहत खेत और मकानों के दावों को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया की जानकारी दी गई।

एसडीएम रजनीश शर्मा ने कहा कि उपमंडल और जिला स्तरीय की कमेटियां खेतों के दावों को भी लेने जा रही है। हिमधरा पर्यावरण समूह के प्रकाश ने भी इस अधिनियम की पूरी प्रक्रिया की जानकारी लोगो से सांझा किया। वहीं लोगों ने भी इस पहल का स्वागत किया है। कार्यशाला के आयोजक जिप सदस्य एवं डीएलसी सदस्य कुंगा बौद्ध ने कहा कि जनता के कानूनी अधिकारों को दिलाने में हमेशा प्रयासरत रहेंगे। कुंगा ने कहा कि प्रशासन को अपनी जिमेदारी समझते हुए जनता के हित मे निर्णय लेने होंगे ताकि आने वाले समय मे एसडीएलसी और डीएलसी में जनता के दावे सुगमता से पास हो सके।

डीएलसी में एफआरए के पास हुए 10 दावे

वीरवार को लाहुल में वन अधिकार अधिनियम के तहत पहुंचे 14 दावों में से 10 दावे पास हुए हैं। जिनमे 3 (1) के तहत 6 व्यक्तिगत दावे और विकास कार्यों के लिए 4 समुहिक दावे पास हुए हैं। अब इन दावों पर अंतिम मुहर के लिए राज्य स्तरीय निरीक्षण कमेटी को भेजी जाएगी। सामूहिक दावों में रंगरीक में हेलीपोर्ट निर्माण के लिए 10 बीघा से अधिक भूमि, आईटीबीपी के लपचा, ग्यु और लारा में चेक पोस्ट निर्माण के लिए वन भूमि की प्रक्रिया पूरी हुई है।

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