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शादी-ब्याह के बाद अब स्वास्थ्य क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल

(सचिन शर्मा)- मंडी जिले में स्वास्थ्य क्षेत्र में ड्रोन की सेवाएं शुरू हो गई है। ड्रोन का प्रयोग दवाइयां, सैंपल, टेस्ट रिपोर्ट सहित अन्य सामग्री लाने और ले जाने में किया जाएगा। फिलहाल मंडी जिला के जोगिंद्रनगर और सरकाघाट से नेरचैक अस्पताल के ड्रोन के जरिए सैंपल पहुंचाये जा रहे है। ड्रोन के जरिए सैंपल पहुंचाने में जोगिंद्रनगर से मात्र 35 मिनट और सरकाघाट से 30 मिनट का वक्त लग रहा है।ड्रोन की मदद से अब ना केवल समय की बचत होगी बल्कि खर्च भी कम होगा।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में इन दिनों स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। हिमाचल प्रदेश की जिला मंडी से ही स्वास्थ्य क्षेत्र में ड्रोन के प्रयोग को सफलता मिली है। जिला में ड्रोन का प्रयोग दवाइयां, सैंपल, टेस्ट रिपोर्ट सहित अन्य सामग्री लाने और ले जाने में किया जा रहा है। वहीं, सीएमओ मंडी डॉ. देवेंद्र ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए ड्रोन मददगार साबित हो रहा है। इसके लिए पिछले डेढ साल से चर्चंा चली हुई थी और मंडी के सराज, ªजंजैहली, करसोग और कांगनीधार में सफल ट्रायल के बाद अब ड्रोन की मदद सैंपल पहुंचाने में ली जा रही है। क्रस्ना डायनोस्टिक लैब द्वारा नेशनल स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के साथ करार के बाद अब नेरचैक मेडिकल कॉलेज में स्थित लैब के हब तक मंडी से टेस्ट के लिए खून के सैंपल ड्रोन के माध्यम से पहुंचाए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि तीन चार दिनों से ड्रोन सेवा शुरू हो गई है। मंडी जिला के जोगिंद्रनगर और सरकाघाट से नेरचैक अस्पताल के ड्रोन के जरिए सैंपल पहुंचाये जा रहे है। ड्रोन के जरिए सैंपल पहुंचाने में जोगिंद्रनगर से मात्र 35 मिनट और सरकाघाट से 30 मिनट, मंडी के जोनल अस्पताल से 15 मिन का वक्त लग रहा है। सैंपल को मेडिकल काॅलेज नैरचैक पहुंचाने में जंहा समय की बचत हो रही है वही खर्च भी कम हो रहा है।

सीएमओ मंडी डॉ. देवेंद्र ने बताया कि मंडी जिला में 26 के करीब हब बनने है जिनमें से जोनल अस्पताल मंडी, जोगिंद्रनगर, सरकाघाट, करसोग, सुंदरनगर और मेडिकल काॅलेज नेरचैक 6 हब बन चुके है जंहा टेस्ट होते है। बस और अन्य वाहनों में सैंपल पहुंचाने में समय और पैसों का दुरूपयोग होता था लेकिन ड्रोन के जरिए समय की बचत भी होगी और धन भी बचेगा। ड्रोन को चलाने के लिए स्काई एयर कंपनी के साथ करार हुआ है। सीएमओ मंडी डॉ. देवेंद्र ने बताया कि बर्फबारी और बारिश के कारण मंडी जिला के कई दुर्गम इलाकों सराज, करसोग में स्वास्थ्य सेवाएं मिलना कठिन हो जाता है। ऐसी स्थिति में इन इलाकों में मंडी और नेरचैक मेडिकल कॉलेज से ड्रोन के जरिये सेवाएं प्रदान करना आसान हो जाएगा और आने वाले समय में ये मददगार साबित होगा।

बता दे कि जिला मंडी में अब तक तीन प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग कर चुका है। इसमें क्वार्ड कॉप्टर, हैक्जा कॉप्टर और ओक्टा कॉप्टर शामिल हैं। इन सभी ड्रोन का प्रयोग कम दूरी के लिए किया जा रहा था और इनमें बैटरी भी अधिक खर्च होती है। अब लंबी दूरी के लिए वीटॉल कॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। यह जमीन से तो एक ड्रोन की तरह उड़ान भरता है, मगर आसमान में यह प्लेन की तरह चलता है और लंबी दूरी तय करता है। बाद में यह लैंडिंग भी ड्रोन की तरह ही करेगा। इसमें बैटरी भी कम ही प्रयोग होती है।

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