बारिश और भूस्खलन बंद होने के बाद चूड़धार तीर्थ की पवित्र यात्रा फिर से शुरू हो गई है। जन्माष्टमी और गूगापीर पर्व के अवसर पर शिरगुन महाराज के पवित्र तीर्थ चूड़धार में हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटे। श्रद्धालुओं ने यहां पवित्र स्नान के साथ-साथ शिरगुल महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया और मन्नतें मांगी।
बाधाएं कोई भी हों, श्रद्धालुओं की आस्था को कम नहीं कर सकती। लगभग 12000 फुट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार तीर्थ पर आजकल ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। भूस्खलन और बारिश से पैदा हुई तमाम दुश्वारियां के बावजूद हजारों की संख्या में रोज श्रद्धालु शिरगुल महाराज के चरणों में नतमस्तक होने पहुंच रहे हैं। मौसम ठीक होने के बावजूद सिरमौर जिले की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार पर पहुंचे आसान नहीं होता। हालांकि श्रद्धालुओं को मार्ग में कई जगह खड़ी चढ़ाई और बारिश का सामना करना पड़ रहा है।
बारिश होने पर तापमान बेहद कम हो जाता है और कड़ाके की ठंड पड़ती है। मगर मन में प्रभु दर्शन की लालसा और मुख में शिरगुन महाराज के जयकारों से रास्ता और मुश्किलें छोटी होती जाती है। कोई नाच गाकर, तो कोई जयकारे लगाकर, लगभग 18 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर बेहद ठंडी चूड़धार चोटी पर पहुंच रहे हैं। जन्माष्टमी और गूगल पाव के अवसर पर चुर्धार तीर्थ पर विशेष भीड़ जुटी बताया जा रहा है कि लगभग 7000 श्रद्धालु तीर्थ पर पहुंचे। श्रद्धालुओं ने यहां आराध्या देव श्री शिरगुल महाराज की आराधना की। मंदिर के समीप पवित्र बावड़ी में स्नान किया। मंदिर में माथा टेक कर मन की मुरादे मांगी।
सर्दियों के बाद चूड़धार तीर्थ के कपाट खुलने के बाद शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार बाबर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। तीर्थ की मनोरमाता और नैसर्गिक सौंदर्य को देखने के लिए अब पंजाब, हरियाणा और दिल्ली आदि राज्यों से भी यहां श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचने लगे हैं। मंदिर समिति की ओर से यहां श्रद्धालुओं के रुकने और भोजन की व्यवस्था रहती है। मंदिर समिति और मुख्य पुजारी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि तीर्थ की पवित्रता को बनाए रखने में सहयोग करें। तीर्थ पर गंदगी ना फैलाएं, आचरण और व्यवहार शुद्ध रखें। साथ ही व्यवस्था बनाए रखने में भी समिति का सहयोग करें।