कमलेश भारतीय
यह एक बहुत ही आश्चर्यजनक फैसला है कि बाल ठाकरे की विरासत उनके बेटे उद्धव ठाकरे को नहीं बल्कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सौंप दी गयी है । अब बाला साहब की विरासत के हकदार एकनाथ शिंदे हो गये हैं और वे कह रहे हैं कि यह बाला साहब की विरासत की जीत हुई है । यह पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राजनीतिक तौर पर किसी बड़े झटके से कम नहीं ! पहले एकनाथ शिंदे ने सरकार गिराई और अब न केवल पार्टी बल्कि तीर कमान तक पर कब्जा कर लिया यानी उद्धव ठाकरे को निहत्था कर दिया ! यह चुनाव आयोग का फैसला है । हालांकि उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेंगे । उनका कहना है कि शिंदे गुट ने चुनाव चिन्ह चुराया है । वही बात हो गयी –
चुरा लिया है दिल को जो तूने
नजर नहीं चुराना सनम !
पर शिंदे तो पहले ही नजर चुरा चुके थे । अलग पार्टी बना कर सरकार गिरा चुके थे , अब तीर कमान भी ले गये और उद्धव ठाकरे निहत्थे देखते रह गये !
असल में सब जानते हैं कि यह उद्धव को कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने की सजा दी है भाजपा ने ! महाराष्ट्र में सरकार न बनाने की कसक इतनी रही चाणक्य के दिल में कि न केवल सरकार गिराई बल्कि पार्टी को ही पूरी तरह बर्बाद कर दिया ताकि आने वाले चुनाव के समर विरोध का खतरा समय रहते टाला जा सके ! हालांकि उद्धव कह रहे हैअअं कि जनता माफ नहीं करेगी ।
यह शायद पहला ऐसा मामला नहीं । तमिलनाडु में एम जी रामचंद्रन को उनके ही दामाद चंद्र बाबू ने सत्ता से बेदखल कर दिया था । कुछ कुछ ऐसा ही महाराष्ट्र में हुआ । यहां एक कार्यकर्ता ने ही उद्धव ठाकरे से न केवल सत्ता छीन ली बल्कि पार्टी पर भी कानूनी तौर पर कब्जा जमा लिया । हरियाणा में ऐसा होते होते बचा जब अजय चौटाला ने इनेलो से अलग होने पर कहा था कि यह रही आपकी पार्टी और यह रहा आपका झंडा और डंडा ! हम अलग पार्टी बना लेंगे । जनता ने नयी पार्टी का साथ दिया और दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बन गये ! पर यह उदाहरण एक चेतावनी है दूसरे राजनीतिक दलों के लिए कि ऐसे दिन भी आ सकते हैं !
दिनन का फेर निहत्थे भी कर सकता है ।
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