- स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पर है ज़िम्मेदारी।
- प्रदेश में है 69 वर्कस्टेशन, 64 थानों में है कार्यरत।
- प्रदेश का 4 लाख से अधिक फिंगर प्रिंट का डेटा किया गया है नेफिस पर अपलोड
- स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक की ज़िम्मेदारी है अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ओ पी सिंह पर।
हर इंसान की शक्ल की तरह उसके फिंगर प्रिंट्स भी अलग अलग पाए जाते है। किसी भी दो इंसान के फिंगर प्रिंट एक जैसे नहीं होते है। जन्म के साथ ही व्यक्ति के जो फिंगर प्रिंट्स होते हैं, वे ताउम्र वैसे ही रहते हैं, इनमें चोट लगने या किसी अन्य वजह से भी इनमें बदलाव नहीं होता। फिंगर प्रिंट्स को इंसान की यूनिक आइडी माना जाता है। और अब इसी विधि का फायदा प्रदेश पुलिस भी उठा रही है। वैसे तो फिंगर प्रिंट्स का उपयोग पुलिस शुरू से ही अपराधियों की धरपकड़ के लिए किया जाता रहा है, पर अब अज्ञात शवों की पहचान उजागर करने का काम भी फिंगर प्रिंट्स की सहायता से किया जा रहा है। प्रदेश पुलिस में इसकी ज़िम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, हरियाणा पर है जिसने पिछले एक वर्ष में लगभग 11 डेड बॉडीज की पहचान उजागर करने में सफलता हासिल की है। इनमें से 7 डेड बॉडीज प्रदेश के अलग अलग थानों में दर्ज आपराधिक प्रवृति के व्यक्तियों की है और अन्य 4 डेड बॉडीज अन्य राज्यों से संबंधित है। विदित है कि नेफिस सिस्टम में हर उस आपराधिक प्रवृति के व्यक्ति का डेटा उपलब्ध है जो किसी न किसी अपराध में या तो गिरफ्तार हुए है या फिर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2022 – 23 में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने तक़रीबन 31,451 विभिन्न गिरफ्तार, सज़ायाफ्ता अपराधियों और लावारिस डेड बॉडीज और मौकाए वारदात से उठाये गए फिंगर प्रिंट डेटाबेस में अपलोड किये गए है।
7 डेड बॉडीज प्रदेश से, 4 की अन्य राज्यों के निवासी के तौर पर हुई पहचान ।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को फरीदाबाद, जींद, करनाल, सोनीपत, सिरसा, अम्बाला आदि जिलों से विभिन्न अज्ञात शव के फिंगर प्रिंट प्राप्त हुए थे जिनकी पहचान करने में समस्या आ रही थी। सभी शवों के फिंगर प्रिंट स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो, हरियाणा को अवलोकन करने के लिए भेजे गए। जिनपर कार्रवाई करते हुए सभी प्रिंट्स को नेफिस के सिस्टम से मैच किया गया तो तक़रीबन 11 शवों की पहचान करने में सफलता हासिल की है। 11 डेड बॉडीज में से 7 हरियाणा के ही ट्रेस हुए व अन्य 4 दिल्ली, तेलंगाना और पंजाब राज्यों से सम्बंधित है। पुलिस महानिदेशक पी के अग्रवाल, आईपीएस ने सभी अधिकारीयों और स्टाफ को इस उपलब्धि के शुभकामनायें दी है और कहा है इसी बेहतरी के साथ प्रदेश पुलिस काम करती रहेगी। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि नेफिस सिस्टम में पुरे देश के गिरफ्तार, सज़ायाफ्ता अपराधियों और लावारिस डेड बॉडीज और मौका-ए-वारदात से उठाये गए फिंगर प्रिंट डेटाबेस उपलब्ध है, जिससे मैच करने से अज्ञात शवों की पहचान करने में आसानी हो जाती है।
एक साल में किया 87 कागज़ातों का विश्लेषण, संगीन मुकदमें सुलझाने में मिलती है सहायता।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि एससीआरबी में वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में मई माह तक विभिन्न केसों में 87 कागजात (डाक्यूमेंट्स) प्राप्त हुए थे। कई केसों में महत्वपूर्ण कागज़ातों की प्रमाणिकता की जांच की जाती है। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने सभी कागज़ातों का परीक्षण कर उनकी रिपोर्ट बनाकर जिला पुलिस को आगामी कार्रवाई के लिए सौंप दिया है। इसके अतिरिक्त स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के फोटो सेक्शन में वर्ष 2022 में 185 केसों में और 2023 मई माह में 173 केसों में विभिन्न फोटोज विश्लेषण के लिए प्राप्त हुए है। वर्तमान में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में बतौर इंचार्ज इंस्पेक्टर प्रीतम, इंस्पेक्टर रमेश चंद्र व उप निरीक्षक करनैल सिंह व उनकी टीम कार्यरत है जो अलग अलग मुकदमों से संबंधित प्रिंट्स, कागजात व फोटो का विश्लेषण करने का काम कर रही है।
मौका-ए-वारदात से मिले फिंगर प्रिंट से सुलझाए 2 महत्वपूर्ण केस।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की मौका-ए-वारदात से फिंगर प्रिंट उठाकर उनपर काम करने की ज़िम्मेदारी भी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पर है। दोनों ही केसों में आरोपियों को पकड़ने के लिए क्राइम इन्वेस्टिगेशन का आधुनिक फिंगर प्रिंट नेफिस सिस्टम…