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कुत्तों के अस्पताल में सफाई कर्मचारियों का कब्जा

जीरकपुर । शहर की आबादी 6 लाख का आंकड़ा छूने जा रही है, लोगों की आबादी के साथ साथ कुत्तों को आबादी भी दिन प्रति दिनों बढ़ती जा रही है। जिस कारण लोग काफी परेशान हो रहे हैं। क्यों कुत्तों के काटने के रोजाना कई केस सामने आते है. जिस का काऊंसिल के पास कोई समाधान नही है। कुत्तों की बढ़ रही जनसंख्या को रोकने के लिए नगर काऊंसिल जीरकपुर ने पभात क्षेत्र में एक कुत्तो की स्ट्रेलाइजेसन के लिए अस्पताल बनाया गया था। जो अभी तक खाली पड़ा है। यह अस्पताल करीब साढ़े चार साल पहले लाखों रूपये की लागत से तैयार किया गया था, जो अब बर्बाद होता नजर आ रहा है। क्योंकि पिछले चार सालों में एक बार इसका टेंडर लगा है। जिस कारण यह सफेद हाथी बनाकर टेंडर के इंतजार में है। मौजूदा हालत यह है कि इस समय कुत्तों के अस्पताल पर सफाई कर्मचारियों ने अपना सामान रखा हुआ है। ओर ऑपरेशन थिएटर को स्टोर बनाया हुआ है। जिस में काफी सामान पड़ा है। हर तरफ कूड़ा करकट फैला हुआ है। मानो कई सालों से बंद पड़ा हो। काऊंसिल द्वारा लगाया गया लाखो रूपये बर्बाद हो रहे हैं। जिस तरफ कोई भी ध्यान नही दे रहा है। हालंकि अस्पताल तैयार होने के बाद एक बार टेंडर लगाया भी गया था लेकिन टेंडर में केवल एक ही पार्टी शामिल हुई थी। जिस कारण टेंडर रोकना पड़ा, क्योंकि ला के मुताबिक एक टेंडर में कम से कम तीन पार्टियों तो होनी ही चाहिए। जिसके बाद आज तक टेंडर नही लगा है।


डॉग बाइट के केस दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रहे हैं। जिस कारण लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। 2020 की बात करें तो डॉग बाइट के 70 – 80 केस एक महीने में आते थे लेकिन यह केस हर बढ़ जाते हैं और अब इन केसों की संख्या बढ़कर 140 – 150 तक पहुंच चुकी है। लोगों का कहना है की लावारिश घूम रहे कुत्तों के कारण बच्चे, बजुर्ग व महिला सैर करने से भी कतराने लगे है। सोसाइटीयों के अंदर हो या बाहर झुंड बनाकर घूम रहे कुत्ते कभी भी अटैक कर देते हैं। यह समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है और काऊंसिल अभी एक टेंडर तक नहीं लगा पाया है। जिस लेकर लोगों में रोष है।


यह अस्पताल चार से पांच साल पहले बनाया गया था जिसके बाद एक बार टेंडर भी लगाया गया था। लेकिन केवल एक ही पार्टी आई थी जिस कारण टेंडर बंद करना पड़ा। इस बार अगले सप्ताह जो मीटिंग होंगी उसमे यह मता भी डाला जाएगा। या फिर इसके लिए एक पांच मैंबरो की एक कमेटी बनाई जाएगी। जिस के बाद वह सारे डसीजन लेगी। यदि बिना देखे किसी को भी टेंडर दे दिया जाएगा तो हमें कैसे पता चलेगा की स्ट्रेलाइजेशन हुई है या नही।


इसका एक बार टेंडर लगा था जो सिरे नहीं चढ़ पाया। लेकिन इस बार हॉउस की मीटिंग में पहल के आधार पर यह मता डाला जाएगा। यदि कोई सामान रखा हुआ है तो वह एक दो दिन ही उठवा दिया जाएगा। यह अस्थाई तौर रखा होगा, यदि किसी ने रखा तो है, वह हटा दिया जाएगा।

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