चंडीगढ़ पर्यावरण एवं वन विभाग ने वैलेंटाइन डे पर युवसत्ता एवं अखिल भारतीय कवि परिषद के साझे सहयोग से वन विभाग के कांसल लॉग हट पर ‘चले कवि कुदरत की ओर’ कार्यक्रम के तहत विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया। श्री देवेंद्र दलाई मुख्य वन संरक्षक मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित हुए और पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के प्रोत्साहन पर वक्तव्य से कार्यक्रम शुभारंभ किया। युवसत्ता के संरक्षक प्रमोद शर्मा ने आए हुए सभी कवियों का स्वागत किया। अखिल भारतीय कवि परिषद के अध्यक्ष डॉ अनीश गर्ग ने बखूबी मंच संचालन करते हुए कविता पढ़ी “शुक्र मनाओ पेड़ों के पांव नहीं होते.. वरना इंसानों की बस्ती से दूर भाग गए होते” पानी की बूंद बूंद में है ज़िंदगी बसी, सुशील हसरत नरेलवी ने”बेकार मत बहा की ये है कीमती बड़ी” कवित्री कविता गर्ग सावी ने,” कवि चले हैं कुदरती और”, संतोष गर्ग ने “लगता कुदरत बोल रखी है भेद सामने खोल रही है”, राशि श्रीवास्तव ने “पर्यावरण को बचाएं, आओ हम पेड़ लगाएं पेड़ हरे लहराएं” ”,अश्वनि शांडिल्य ने “प्रेम बिना तन उजड़ा उजड़ा मन भी कब है पूरा रे” , बाल कृष्ण गुप्ता “कोई भी किस्सा न होता अगर कुल्हाड़ी के अंदर”, डेज़ी बेदी ने “रखो थामे में हरियाली को धरा को सांस तो आए”। इस कार्यक्रम में ट्राइसिटी के 30 कवियों ने भाग लिया। यह पहला ऐतिहासिक प्रयास था जिसमें साहित्यकारों को प्रकृति की गोद में ले जाकर कविता पाठ करवाया गया। दलाई जी ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी कवियों की कविताएं जो उन्होंने आज यहां पर बोली हैं इसका साझा संग्रह विभाग की तरफ से जल्दी प्रकाशित किया जाएगा। प्रमोद शर्मा के आह्वान पर आए हुए सभी कवियों ने विश ट्री पर रंग बिरंगी पर्चियों पर प्रकृति और पर्यावरण से संबंधित अपने संदेश लिखकर टांगे। इस कार्यक्रम में शायर अशोक नादिर भंडारी, विमला गुगलानी, डॉ विनोद शर्मा, सुनीता रैना, डा० अनीश गर्ग, बाल कृष्ण गुप्ता, प्रतिभा माही, हरेंद्र सिन्हा, मुरारी लाल अरोड़ा आजाद, नीलम नारंग, नीलम त्रिखा, नीरू मित्तल, कंचन भल्ला, आर पी मल्होत्रा ने, रेणुका मिड्ढा, सुरजीत सिंह धीर, संतोष गर्ग एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एन के झिंगन ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। डॉ अनीश गर्ग ने आए हुए सभी कवियों का धन्यवाद व्यक्त किया।
