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बीपीएल की आय सीमा बदलने की माकपा ने उठाई मांग

(रितेश चौहान)- बीपीएल सूची में किसी परिवार को शामिल होने और कई अन्य सरकारी स्कीमों की पात्रता के लिए सरकार ने 35 हज़ार रुपये सालाना से कम की आय की सीमा निर्धारित की है जो वर्तमान समय में अप्रसांगिक है।ये बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता व पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कही और सरकार से इस आय सीमा को बढ़ाने की मांग की है।उन्होंने कहा कि आज के महँगाई के दौर में ऐसा कोई भी परिवार नहीं हो सकता है जो अढ़ाई-तीन हज़ार रुपये मासिक आय से अपना गुज़र बसर कर सकता है।

इस आय को निर्धारित करने के लिए राजस्व विभाग उस परिवार के पास उपलब्ध भूमि को भी आधार बनाकर गणना करता है।जिसमें बहुत सी ज़मीन जो अब बंजर है और उससे कोई आय प्राप्त नहीं होती है उसे भी इसमें शामिल किया जाता है।जिसके चलते बहुत से ऐसे परिवार जिनमें न कोई नॉकरी करता है और न ही कोई अन्य आमदनी का साधन है वे उन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से बंचित हो रहे हैं।

यही नहीं बहुत से लाभार्थियों को कम आय का प्रमाण पत्र लेने के लिए कई तरह के ग़लत तौर तरीकों का सहारा लेना पड़ता है और कई विभागीय अधिकारियों को इससे भ्रष्टाचार करने के लिए मौका मिलता है।कई विभागों में होने वाली भर्ती के पद इसलिये ख़ाली रह जाते हैं कियूंकि वहां पर कोई भी अभ्यर्थी 35 हज़ार रुपये सालाना आय वाला नहीं होता है।इसी प्रकार पंचायतों द्धारा बीपीएल परिवारों के चयन के समय लिए जाने वाले शपथ पत्र में भी हो रहा है।

इसलिए सरकार को ये आय सीमा बढ़ानी चाहिए तभी पात्र परिवारों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सकता है और आय प्रमाण पत्र बनाने में आ रही दिक्कतों से जनता को छुटकारा मिल सकता है।इसलिए प्रदेश में बनी नई सरकार को इस बारे फ़ैसला लेना चाहिए।इसके अलावा उन्होंने आगजनी और अन्य प्राकृतिक आपदा में क्षतिग्रस्त होने वाली सम्पति के मुआवज़े की राशि की बढ़ाने की भी मांग की है जो वर्त्तमान में बहुत कम दी जाती है।

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