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ज़मीन के बदले ज़मीन, मकान के बदले मकान देने की माकपा ने उठाई मांग

सरकाघाट। धर्मपुर में पिछले महीने वर्षा से हुई तबाही की भरपाई के बारे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने क्षतिग्रस्त मकानों व ज़मीन की भरपाई के लिए ज़मीन के बदले ज़मीन और घर के बदले घर उपलब्ध कराने की मांग की है। यही नहीं उन घरों को भी क्षतिग्रस्त घोषित करने की मांग की है जिनमें दरारें पड़ गई हैं और जिनके आसपास की ज़मीन धंस गई है उसे भी क्षतिग्रस्त घोषित करने की मांग की हैं। क्यूंकि इन घरों को रिपेयर करना संभव नहीं है और उनको कहीं दूसरी सुरक्षित जगह पर ही घरों का निर्माण करना पड़ेगा।

पार्टी के सचिव व पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह, रणताज राणा सचिव बाला राम, मिलाप चंदेल, प्रकाश सकलानी, दूनी चन्द, लुद्दर सिंह, सुरेश शर्मा, सूरत सकलानी, पृथी सिंह, करतार सिंह इत्यादि ने सरकार से ये मांग की है। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि वर्तमान में सरकार के जो नियम हैं उनके अनुसार उसी घर को टोटल डैमेज माना जाता है जो ढह गया है और बाकियों को आंशिक रूप में क्षतिग्रस्त माना जाता है और इसी आधार पर उन्हें मुआवजा देने के लिए श्रेणीवध किया जा रहा है। लेकिन घरों के आसपास के नुक़सान की भरपाई नहीं की जा रही है। इसलिए सरकार को इस मामले में वर्त्तमान नीति और आपदा राहत से मिलने वाली सहायता राशि में वृद्धि करनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि जिन परिवारों के पास घर बनाने के लिए उपयुक्त और सुरक्षित भूमि नहीं है उन्हें सुरक्षित जगहों पर ज़मीन दी जाए। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले दिनों से इस बारे उनकी पार्टी द्धारा किए जा रहे जंसमर्क से ये बात सामने आई है कि सबसे ज्यादा अनुसचित जातियों के परिवार प्रभावित हुए हैं और वे ज़्यादातर असुरक्षित जगहों पर रहते हैं जिन्हें पुराने जमाने से जातीय भेदभाव और छुआछूत के चलते खड्डों व नालों के आसपास और गांव से दूर बसाया गया है। इस बार इन्ही परिवारों को इस बार हुई प्रलयकारी वर्षा से सबसे ज्यादा नुकसान भी हुआ है। इन स्थानों पर पहले भी वर्षा के कारण नुक़सान होता रहा है और इस बार भी यहाँ ज्यादा हुआ है।

इनमें बहुत से परिवारों के पास घर बनाने के लिए और कोई ज़मीन नहीं है जहां पर वे अब घर बना सकें। इसलिए ज़मीन के बदले ज़मीन और घर के बदले घर उपलब्ध कराने चाहिए और वर्तमान में दी जा रही 1.30 लाख रुपये की राशी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। राज्य सरकार को ऐसे भूमिहीन व कम भूमि वाले परिवारों को सरकारी भूमि उपलब्ध करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर विशेष अनुमति लेनी चाहिए ताकि वन सरंक्षण क़ानून 1980 के लागू होने के कारण से भूमि आवंटन पर लगी रोक में संशोधन किया जा सके। इसके अलावा कुछ अन्य परिवारों को जिनके पास मकान बनाने के लिए ज़मीन नहीं हो उन्हें भी ज़मीन देने की पाल्सी बनाने की ज़रूरत है।वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने के लिए सभी राजनैतिक दलों और सभी गैर सरकारी संगठनों की बैठक बुलानी चाहिए और उसमें प्रस्ताव पारित करके भेजना चाहिए।

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