( विपन शर्मा) /धर्मशाला- प्रदेश में अब साइंटिफिक तरीके से काटे गए पेड़ों को रिजनरेट किया जाएगा। इस पहल से जहां वनों में आग लगने की घटनाओं में कमी आएगी, वहीं सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। गौरतलब है कि प्रदेश के जंगलों में हरे पेड़ों के कटान पर प्रतिबंध लगा हुआ था, जिसे हटाने के लिए प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 में माननीय सुप्रीमकोर्ट में केस दायर किया था। उस केस की सुनवाई उपरांत माननीय सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया था कि चीड़, खैर और साल के लिए 3 पायलट लोकेशन चिन्हित की जाएं। जिस पर सरकार की ओर से बिलासपुर में चीड़, नूरपुर में खैर और पांवटा में साल के लिए पायलट लोकेशन चिन्हित की थी।
चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट सर्कल धर्मशाला देवराज कौशल ने बताया कि चीड़, खैर और साल के लिए 3 पायलट लोकेशन चिन्हित कर वन विभाग ने वर्ष 2018 से अब तक प्रयोग किया। इस प्रयोग के परिणाम खैर को लेकर नूरपुर में सफल रहे हैं। जिसके चलते इस सफल प्रयोग की रिपोर्ट प्रदेश सरकार द्वारा सेंट्रल इम्पावर कमेटी (सीईसी) को सौंपी जा रही है। सीईसी इन सफल परिणामों का मूल्यांकन करके वनों में खैर के हरे पेड़ों के कटान पर लगे प्रतिबंध को खोलने के आदेश जारी कर सकती है। यही प्रक्रिया चीड़ और साल के एरिया में भी की जाएगी। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि प्रदेश सरकार के प्रयास सफल हुए हैं तथा हरे पेड़ों के कटान से प्रतिबंध जल्द हट सकता है।
