पठानकोट मंडी फोरलेन के पहले चरण का निर्माण कार्य नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने आईआरबी कंपनी को नूरपुर कंडवाल से लेकर भेड़ खड़ तक सौंपा है। यह फोरलेन निर्माण कार्य ग्रोवर कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। बता दें कि गत दिनों भारी बरसात के कारण जिस जगह कंपनी द्वारा सड़क कटाई का कार्य किया गया है, ऐसी कई जगहों पर भूस्खलन के कारण लोगों की जमीन धस गई है। ऐसा ही नूरपुर के वार्ड नंबर 7 जसालता में देखने को मिला है।यहां पर सड़क निर्माण के लिए पहाड़ी को मशीनों द्वारा काटा गया लेकिन पहाड़ी को काटने के बाद अभी ढंगे नहीं लगाए गए हैं।
नूरपुर वार्ड नंबर 7 के निवासी निक्का राम ने बताया कि एनएचएआई ने उनकी लगभग 7 कनाल के करीब जमीन का रकबा अधिग्रहण किया था, जिसके लिए उन्हें दो किस्ते मुआवजे के रूप में दी गई है। अभी भी उनकी मुआवजे की बकाया राशि लेने को है। लेकिन कार्य में जुटी कंपनी ने उन्हें पूरा मुआवजा ना दिए जाने से पहले ही पहाड़ की कटाई का कार्य शुरू कर दिया।
जिससे एनएचएआई की जमीन की हद से लगती उनकी मलकीति जमीन भूस्खलन के कारण बर्बाद हो गई है। उसका कहना है कि फोरलेन निर्माण में लगी कंपनी अपने लाभ के चलते इस पहाड़ी की मिट्टी को टिप्परो में भर कर अन्य जगह में फेंका जा रहा है, लेकिन उसकी जमीन को जो नुकसान हुआ है, उसकी अनदेखी की जा रही है यहा तक की पहाड़ी की कटाई के बाद सुरक्षा के लिए ढंगे तक नहीं लगा रही है। वही बरसात के भूस्खलन के कारण इस पहाड़ी पर विराजमान जोगिंद्रनगर छानन प्रोजेक्ट के 110 मेगावाट विद्युत सप्लाई पोल जो पंजाब राज्य को बिजली सप्लाई लाइन के लिए लगाया गया है। उसके भी गिरने का खतरा मंडरा रहा है। कंपनी ने आनन-फानन में इस पहाड़ी पर पॉलिथिन बिशा कर भूस्खलन को रोकने का प्रयास किया हुआ है।
वही इस विशाल खंभे को रोकने के लिए लोहे की तारों को पेड़ों से बांध कर अस्थाई तौर पर रोका गया है जो कि सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील है। सवाल उठता है कि धरातल में स्थिति जो बयान करती है, वह खतरे से खाली नहीं है। एनएचआई को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा। फोरलेन निर्माण कार्य में लगी कंपनी को उचित ढंग से कार्य करने के दिशा निर्देश जारी करने होंगे, जिससे फोरलेन की व्यवस्था के साथ-साथ अन्य लोगों को जो नुकसान हो रहा है उसे भी सही से निपटाना होगा। उनको हुए नुकसान की भरपाई कैसे हो पाए यह भी सुनिश्चित करना होगा|
इस मामले के बारे हमने एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विकास सुरजेवाला से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि इसकी लिखित शिकायत एनएचएआई अथॉरिटी को भेजी जाए। उन्होंने कहा कि एनएचएआई अपनी ही अधिग्रहित भूमि पर कार्य करवा रही है। जिस पहाड़ी की कटाई की गई है, उसकी सुरक्षा के लिए ढंगे लगवा दिए जाएंगे।