चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने CET के मुद्दे पर खट्टर सरकार को उसकी रोज़ाना की मनमर्ज़ी और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ के लिए आड़े हाथों लेते हुए कड़ा हमला बोला है । सुरजेवाला ने CET की परीक्षा को मुख्यमंत्री का ‘मनोहर जाल’ करार देते हुए कहा कि ये अब हरियाणा के लाखों शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के ‘जी का जंजाल‘ बन चुका है।
रणदीप ने कहा कि सीइटी को लेकर जारी धक्काशाही से साबित हो गया है कि खट्टर सरकार ‘युवा विरोधी’ होने के साथ-साथ ‘दिशाहीन’ भी है। प्रदेश के युवाओं के साथ इससे भद्दा मज़ाक और क्या हो सकता है कि पिछले 5 साल से ग्रुप सी के सभी टेक्निकल तथा नॉन-टेक्निकल पदों पर भर्तियां CET के नाम पर बन्द कर दी गई और अब CET पास उम्मीदवारों को भी दूसरे चरण की परीक्षा में बैठने से रोका जा रहा है। इस परीक्षा का कंसैप्ट और आयोजन ही बेमायने नहीं तो और क्या है ?
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद CET का ‘रिवाइज़्ड रिजल्ट’ तो जारी कर दिया, पर रोज़ बदलते ‘कट ऑफ’, ‘मापदंड’ व भयंकर त्रुटियों ने हरियाणा के युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद कर दी है। इसके ताज़ा उदाहरण देखिए:
- दो दिन में दो बार कटऑफ़ जारी कर किया भद्दा मज़ाक़- रणदीप ने कहा कि पहले तो नियम ही दिन में दो बार बदले जा रहे थे, अब तो कट ऑफ भी दिन में दो-दो बार बदलनी शुरू कर दी। संलग्न चार्ट A1 देखें। दो दिन पहले HSSC ने भर्तियों के ग्रुप 56 और 57 के लिए विभिन्न कैटेगरीज के लिए अंकों की कट ऑफ लिस्ट जारी की। हद है इनके निकम्मेपन की। इनकी कलाकारी देखिए, ग्रुप 56 के जनरल कैटेगरी पदों के लिए कट ऑफ 65 अंक और बीसी (बी) तथा ईडब्ल्यूएस के लिए कटऑफ़ क्रमशः 68 और 69 अंक! इसी प्रकार ग्रुप 57 के लिए जनरल कैटेगरी पदों की कट ऑफ 67 तथा बीसी (ए), बीसी (बी) और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए क्रमशः 68, 70 तथा 68 अंक घोषित कर दी।
इनके कुकर्मों से पीड़ित आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों ने जब सोशल मीडिया में विरोध जताना शुरू किया तो खट्टर साहब नींद से जागे और आनन-फानन में नई कट ऑफ लिस्ट जारी कर दी, जिसमें जनरल कैटेगरी तथा आरक्षित वर्गों के लिए समान कट ऑफ जारी कर दी। यहां कट ऑफ दो-दो बार बदल रही हैं और खट्टर साहब कहते हैं कि नियम बीच में नही बदले जा सकते।
- बेवक़ूफ़ी का आलम ये कि ‘स्पेशल कैटेगरी’ व बाक़ी सब कैटेगरी में दोनों का ही कट ऑफ एक रख दिया गया- ग्रुप नंबर 56 में 6,419 पोस्ट हैं, जो अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित हैं। जहां ग्रुप 56 कैटेगरी की पोस्ट ग्रेजुएशन बेस्ड पोस्ट हैं, वहीं इनमें से कई पोस्टें स्पेशल कैटेगरी पोस्ट हैं। स्पेशल कैटेगरी पोस्ट में ग्रेजुएशन की शर्त के साथ-साथ स्पेशल क्वालिफिकेशन या तजुर्बा माँगा गया है। उदाहरण के तौर पर ग्रुप 56 में कैटेगरी नंबर 318 की पोस्ट सहायक, उच्चतर शिक्षा विभाग की है। इसके लिए ग्रेजुएशन के साथ-साथ 5 साल का क्लर्की पोस्ट पर एक्सपीरियंस ज़रूरी है। यानि केवल ग्रेजुएट इस पोस्ट के लिए अप्लाई नहीं कर सकते। इसलिए स्पेशल कैटेगरी पोस्ट का कटऑफ़ अलग होना चाहिए। पर ऐसा नहीं किया गया जो अपने आप में त्रुटिपूर्ण है।
- CET पास 3,59,000 उम्मीदवारों में से 3,29,000 उम्मीदवार ग्रुप 56 और 57 के एग्जाम में बैठ ही नहीं पायेंगे- HSSC ने ग्रुप 56 के लिए कट ऑफ नंबर 65 निर्धारित किए हैं तथा ग्रुप 57 के लिए कट ऑफ नंबर 67 निर्धारित किए हैं। पोस्ट से चार गुणा उम्मीदवार बुलाने के मतलब है कि लगभग 30,000 बच्चों को रिटेन एग्जाम के लिये बुलाया जाएगा। ग्रुप 57 के सभी उम्मीदवार ग्रुप 56 में भी एलिजिबल होंगे। यानि दोनों ग्रुप्स में 90% उम्मीदवार वही होंगे। ऐसे में CET पास हुए 3,59,000 उम्मीदवारों में से 3,29,000 को रिटेन एग्जाम में बैठने का मौक़ा ही नहीं मिलेगा। तो फिर चार साल धक्के खाकर CET पास करने का क्या अर्थ रह गया है?
- ‘फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट शेड्यूल’ पूरा होने से पहले ही रिटेन एग्जाम बुलाना अपने आप में निहायत बेवक़ूफ़ी का निर्णय- खट्टर सरकार व HSSC ने 2 अगस्त से 20 अगस्त के बीच में ‘फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट’ के लिए इश्तहार निकाला है। इसके लिए सात गुना उम्मीदवारों को बुलाया गया है। संलग्नक A 2 देखें।
अब खट्टर सरकार व HSSC ने 5, 6 अगस्त, 2023 को लिखित परीक्षा रख ली। लिखित एग्जाम के लिये 4 गुना उम्मीदवारों को बुलाया गया है।
साफ़ तौर से युवाओं को बहकाने की दो बेवक़ूफ़ियाँ साबित हो रही हैं-
(I) जो उम्मीदवार रिटेन एग्जाम में नहीं बैठ पाएगा (रिटेन एग्जाम में चार गुना उम्मीदवार बुलाये हैं), उसे फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट के लिए बुलाया जा रहा है (जहां 7 गुना उम्मीदवार बुलाये हैं)।
(II) अगर कोई उम्मीदवार फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट में फेल हो गया, तो उसे रिटेन एग्जाम में बुलाने का क्या औचित्य है? अगर कोई उम्मीदवार रिटेन एग्जाम में फेल हो गया तो फिर उसका फिजिकल मेजरमेंट टेस्ट करने का क्या औचित्य है?
- CET का रिवाइज़्ड रिजल्ट पूरी तरह से ग़लत है- CET के रिवाइज़्ड रिजल्ट में अभी भी सोशियो इकोनॉमिक कैटेगरी के नंबर अयोग्य व्यक्तियों को देने का आरोप है। अभी भी अनेकों उम्मीदवारों को तजुर्बे के नंबर व एक्स सर्विसमैन के 5 नंबर नहीं दिये गये। ग़लत जवाबों वाले सवालों को भी दुरुस्त नहीं किया गया। तो ऐसे में CET के क्या मायने बचे ?
इसी प्रकार ESM, DESM, Disabled ESM, DFF, सबको ESM की कैटेगरी में डाल दिया गया, जो अपने आप में ग़लत है। खट्टर सरकार व HSSC को यह भी मालूम नहीं, कि पहली प्राथमिकता Disabled एक्स सर्विसमैन- ESM को मिलती है। दूसरी प्राथमिकता Dependant of disabled ESM को मिलती है। तीसरी प्राथमिकता ESM को मिलती है। चौथी प्राथमिकता Dependant of ESM को मिलती है। और आख़िरी कैटेगरी DFF होती है। ऐसे में इन ESM कैटेगरी का विभाजन कैसे होगा जब सारी श्रेणियाँ एक दूसरे से मिला दी गई हैं।
HSSC ने CET के लिए जो कट ऑफ जारी की है, उसमें केवल विकलांग/दिव्यांग लिखकर ही कट ऑफ जारी कर दी। जबकि HSSC को दिव्यांगों की अलग-अलग श्रेणियों की अलग-अलग कट ऑफ जारी करनी चाहिए। जैसे कि hearing handicapped, visual handicapped, ortho handicapped इत्यादि। अब इस मामले को दिव्यांगजन कोर्ट ले गए हैं, तथा कोर्ट में 1 अगस्त, 2023 को सुनवाई की तारीख़ लगा दी है।
इन्होंने जितने ब्लंडर इस भर्ती में किए हैं उनके कारण अगले 10 साल भी मामले न्यायालयों में लटके रहेंगे। जो बच्चे नौकरी लगेंगे उनको भी ये सरकार चैन से सोने नही देगी तथा जो नही लग पाएंगे उनका तो भविष्य चौपट कर ही दिया है। कांग्रेस पार्टी आज भी खट्टर साहब से दरख्वास्त करती है कि वो तानाशाही छोड़कर प्रदेश के युवाओं और उनके अभिभावकों से माफी मांगें तथा इस रायते को समेटते हुए सभी क्वालिफाइड अभ्यर्थियों को मौका दें।