एक समाचार पत्र के समूह के प्रयास से देश व प्रदेश के बुद्धि जीवो को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़ कर इमरजेंसी जैसे काले अध्याय को याद कर उस पर मंथन करते हुए गलत बताया। उल्लेखनीय है कि आज ही के दिन 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने निजी फैसले देश की जनता पर थोप दिए थे। इसी कड़ी में हरियाणा भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व शिक्षा मंत्री प्रोफेसर रामबिलास शर्मा भी अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अमर जेंसी के अध्याय पर चिंतन संगोष्ठी में शामिल हुए। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने पूर्वजों, बड़े व बुजुर्गों के साथ बैठकर तत्कालीन सत्ताधारी कांग्रेस द्वारा इमरजेंसी के दौरान किए गए गए अत्याचार के बारे में जानना चाहिए । उन्होंने स्वयं इसके साक्षी बनते हुए कहा कि उन्हें भी इमरजेंसी के दौरान उन्हें ढाई साल से भी अधिक समय हरियाणा की अंबाला जेल व बिहार की गया जेल में बंद रहकर पुलिस की बर्बरता का शिकार होना पड़ा था। शर्मा ने कहा कि उनके साथ अनेकों प्रदेश व देश के लोगों को कांग्रेस के जुल्मों के शिकार होना पड़ा था। इमरजेंसी काल में समाचार पत्रों को भी पाबंद कर दिया गया था, कांग्रेस ने अपने कार्यकाल को 5 साल से बढ़ाकर 6 साल कर दिया था, लोगों की आजादी का हनन कर दिया था। यह सब कांग्रेस द्वारा अंग्रेजी हुकूमत से किए गए अत्याचार से भी अधिक अत्याचार था। शर्मा ने बताया कि इमरजेंसी इंदिरा सरकार का थोपा हुआ वह काला अध्याय था जिससे देश व प्रदेश का कोई नागरिक अछूता नहीं रहा। संविधान की रक्षा करने वाली न्यायपालिका के हाथ काट दिए गए कांग्रेस के कुशासन का विरोध करने वाले समूचे विपक्ष को जेल में डाल दिया गया और यह सब इसलिए चलता रहा था कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ से सत्ता ना जाए और उस समय भारत की जेलों में बंद लोगों को अंग्रेजी हकूमत से भी अधिक प्रताड़ित कर अंग्रेजी हकुमत की याद ताजा की। इस काले अध्याय के वे खुद साक्षी बने। इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में केएम गुप्ता, एएन मिश्रा, प्रेम प्रकाश, अशोक मलिक, नरेंद्र भंडारी, प्रमोद सैनी, रमेश बंटा, जोगेंद्र नागर सहित अनेकों बुद्धिजीवी लोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर इमरजेंसी के काले अध्याय पर चिंतन किया।
