उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में हैरान कर देने वाला मामला देखने को मिला जहां एक पिता पर अपनी 5 वर्षीय मासूम बच्ची से डिजिटल रेप करने का आरोप लगा। पत्नी के अनुसार, उसके पति ने अपनी ही बेटी से इस तरह से रेप किया और उसे ये तब पता चला जब बेटी के पेट में दर्द हुआ. तब बेटी ने पापा की हरकतों के बारे में बताया. पुलिस इस मामले में कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने मेडिकल जांच के बाद केस दर्ज कर लिया है। पुलिस जल्द ही बच्ची के बयान को भी दर्ज करने की बात कर रही है। अब सवाल उठता है कि डिजिटल रेप आखिर होता क्या है? या आरोपी डिजिटल रेप को कैसे अंजाम देते हैं।
क्या होता है डिजिटल रेप
दरअसल, जब कोई शख्स या आरोपी उंगली, पैर की उंगली, अंगूठे का इस्तेमाल कर पीड़िता के प्राइवेट अंगों को छूता और उससे छेड़छाड़ करता है, या इससे आगे बढ़ता है, तब इसे डिजिटल रेप कहा जाता है। डिजिटल इसलिए कहा जाता है क्योंकि हाथ-पैर की उंगलियों, अंगूठे को हिंदी में अंक और अंग्रेजी में डिजिट कहा जाता है, इसलिए जब भी कोई शख्स हाथ-पैर की उंगलियों, अंगूठे के जरिये पीड़िता से छेड़छाड़ करता है तो इसे डिजिटल रेप कहा जाता है।
यानी जो शख्स अपने डिजिट का इस्तेमाल करके यौन उत्पीड़न करें तो यह डिजिटल रेप होता है। विदेशों की तरह भारत में भी इसके लिए कानून बना है। डिजिटल रेप 70 फीसदी मामले किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा अंजाम दिए जाते हैं, जो पीड़िता का करीबी होता है। हालांकि डिजिटल रेप के बहुत कम अपराध दर्ज किए जाते हैं। निर्भया कांड के बाद महिलाओं के खिलाफ बढ़ते दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए डिजिटल रेप में भी बेहद सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। भारत में कानून के अनुसार अपराधी को कम से कम 5 साल की जेल की सजा हो सकती है। कुछ मामलों में यह सजा 10 साल तक चली जाती है या कुछ मामलों में आजीवन कारावास भी हो सकता है।
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