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यूपी में मुसीबत की बाढ़: वहां देख भोजन की उम्मीद में दौड़ पड़ते बच्चे

लखीमपुर खीरी जिले में दूसरों का पेट भरने वाले किसान और मजदूर पेशा लोग बाढ़ के कारण खुद ही भूख से तड़प रहे हैं। प्रशासन इन बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है। मगर हकीकत कुछ और ही है। प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों को 24 घंटे में एक बार भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं। एक पैकेट में पांच-छह पूड़ी, सब्जी और अचार होता है। हालात ये हैं कि पीड़ितों की संख्या कई गुना ज्यादा होने के कारण पैकेट किसी-किसी को ही नसीब हो रहा है। ऐसे में लोगों को भूखा रहना पड़ रहा है।

बीते जुलाई माह से ही निघासन, पलियाकलां, धौरहरा तहसील क्षेत्र के अलावा सदर तहसील का फूलबेहड़ व नकहा इलाका बाढ़ की चपेट में है। इधर, बीते शुक्रवार के बाद से इन क्षेत्रों में हालात बदतर हो गए हैं। करीब 250 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। मुख्य सड़कों, संपर्क मार्गों से लेकर गांव के गलियारों और घरों तक में बाढ़ का पानी भरा है। ऐसे में इन गांवों के लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या भोजन और पीने के पानी की खड़ी हो गई है। पानी भर जाने से घरों में रखा सारा अनाज खराब हो गया है। उन्हें पेट दबा कर सोने को मजबूर होना पड़ रहा है।

           

तहसील निघासन के गांव गोतेबाज पुरवा में पांच दिन से शारदा नदी की बाढ़ का पानी भरा है। गांव के लोग छतों या खुले में ऊंचे स्थानों पर रह रहे हैं। गांव की फूला, कमरूननिशां, जहाना, उमर, इम्तियाज, सलमान, छंगा और निहाल आदि ने बताया कि खाने की सारी वस्तुएं खत्म हो गई हैं। बाढ़ प्रभावित लोगों ने बताया कि यहां पांच दिन से प्रशासन का कोई नुमाइंदा झांकने तक नहीं आया। किसी तरह एक वक्त का जुगाड़ करके खाना बनाते समय बच्चे घेरकर इंतजार करने बैठ जाते हैं। वहीं कोई चारपहिया वाहन गुजरता है तो बच्चे दौड़कर ललचाई नजरों से देखते हैं। कुछ न मिलने पर वह मायूस होकर लौट जाते हैं।

पलिया, निघासन, फूलबेहड़, बिजुआ और धौरहरा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। घरों में पानी भरा है। छतों और सड़कों पर डेरा जमाए बाढ़ पीड़ितों को भोजन, पानी, प्रकाश और अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पलिया-भीरा मार्ग पर आवागमन अब तक सुचारू नहीं हो सका है। हालांकि बाइक चालक पूरे दिन जोखिम के बीच से गुजरते रहे। निघासन के गोतेबाज पुरवा के बाढ़ पीड़ित छतों पर और बस्ती पुरवा के ग्रामीण सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं। गांव ग्रंट 12 में शारदा नदी ने कटान शुरू कर दिया है। निघासन तहसील के बाढ़ प्रभवित गांवों के ग्रामीण एक तरफ कुदरत का कहर दूसरी तरफ प्रशासन की बेरुखी का दंश झेल रहे हैं। गोतेबाज पुरवा के लोग छतों पर और बस्तीपुरवा गांव के बाढ़ पीड़ित सड़क किनारे पड़े हैं। इन पीड़ितों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।

शारदा नदी की बाढ़ का पानी गोतेबाज पुरवा में पांच दिन से भरा है। रास्ते पर आने-जाने के लिए नाव के अलावा दूसरा कोई साधन नहीं है। गांव के लोग छतों पर अपना आशियाना बनाए हैं। बाढ़ पीड़ित फूला, कमरूननिशा, जहाना, उमर, इम्तियाज, सलमान, छंगा और निहाल आदि ने जब अपना दर्द बयां किया तो आंसू छलक पड़े। लोगों ने बताया कि खाने की सारी वस्तुएं समाप्त हो गईं हैं। एक-दूसरे से सामान मांग कर किसी तरह गुजारा किया जा रहा है। अचानक पानी घरों में भरने से अनाज भी भीग चुका है। पांच दिन से कोई भी झांकने नहीं पहुंचा। बाढ़ पीड़ितों में प्रधान से लेकर प्रशासन तक गुस्सा भरा हुआ है।

बरोठा के मजरा बस्तीपुरवा और नगर पंचायत के मोहल्ला नानक नगर में भी हालात खराब हैं। बरोठा जाने वाले रास्ते पर बाढ़ पीड़ित तीन दिन से पड़े हैं। मनोज ने बताया कि उनका छप्पर वाला पूरा घर पानी में बह चुका है। पिछले महीने बाढ़ आई थी, तब भी कुछ नहीं मिला था। इस बार फिर तीन दिन से सड़क पर हैं। लंच पैकेट मिलना तो दूर कोई हाल जानने तक नहीं आया है। खाना बनाने के लिए सूखी लकड़ियां तक नहीं मिल रहीं हैं। गैस सिलेंडर तो है, लेकिन गैस भराने के लिए पैसा नहीं है। किसी तरह से एक समय का खाना नसीब हो जाता है।

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