हिमाचल प्रदेश मे पिछले दिनों में प्रदेश में भारी बारिश लगभग आधे से ज्यादा प्रदेश बर्बाद हो चुका हैं. जिसके चलते भूस्खलन, बाद और बादल फटने जैसी समस्याओ से लोगों को गुज़ारना पड़ा. जिसके चलते प्रदेश के कई सड़क मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं| वही अब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप ने कहा कि कांग्रेस सरकार , सेब विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि एक जगह सेब बागवान परेशान हैं और सरकार इनको और ज्यादा परेशान करने का काम कर रही है। जिस सेब बागवान ने अपने खराब सेब अस्थाई नाले में परवाह करने का कार्य किया, इस नकारात्मक सरकार ने उसकी को प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से एक लाख का जुर्माना लगा दिया।
कश्यप ने कहा कि सरकार स्पष्ट करें कि सेब में ऐसा कौन-सा केमिकल होते हैं जिसके कारण प्प्रदुषण फैलता हैं। यदि तुलना की जाए तो अनेकों प्रकार के खाद्य पदार्थ है जो खराब होने के बाद लोग उन्हें जगह-जगह फेक जाते हैं, तो क्या उनको भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इसी प्रकार के जुर्माना लगाए जाते हैं। अगर यही मापदंड है तो सरकार के अनेकों उपक्रम भी इस दायरे में आते हैं जिनको इस प्रकार की भारी पेनाल्टी भरनी चाहिए।
सुरेश कश्यप ने कहा की मौसम की मार से हिमाचल की 6,000 करोड़ की सेब आर्थिकी पर संकट गहरा गया है। बगीचों में पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं। जिसके चलते बागवानों को समय से पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। आकार और रंग न सुधरने के कारण बागवानों को मंडियों में फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे। हिमाचल में करीब साढ़े तीन लाख परिवार सेब आर्थिकी से जुड़े हैं। लेकिन इस बार आई आपदा के कारण उन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं|
प्रदेश में 7,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले बगीचों में सेब की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। 15 सितंबर के बाद जहां फसल टूटनी थी, वहां क्वालिटी न बनने के कारण बागवानों को निर्धारित समय से करीब दो हफ्ते पहले फसल तोड़नी पड़ रही है। इस साल सीजन की शुरूआत से ही सेब की फसल मौसम की मार से प्रभावित है। सर्दियों में बर्फबारी कम होने के बाद असमय भारी बारिश से सेब की फसल को नुकसान हुआ है।
इस साल प्रदेश में सामान्य के मुकाबले करीब 35 फीसदी ही फसल है। उस पर बीमारियों ने बागवानों की कमर तोड़ दी है। कश्यप का कहना है कि मौसम की मार से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश के लाखों लोगों की आर्थिकी संकट में आ गई है। सेब उत्पादन की लागत लगातार बढ़ रही है और पैदावार घट रही है। सरकार को समय रहते गंभीर और प्रभावशाली कदम उठाने होंगे। क्यूंकि प्रदेश में कई ऐसे परिवार हैं जो सिर्फ सेब के उत्पादन से अपना घर चलाते हैं| लेकिन इस बार सेब उत्पादकों को इस बार भारी नुक्सान झेलना पड़ रहा हैं|