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शिमला में गाँधी परिवार

शिमला. हिमाचल प्रदेश के शिमला में कांग्रेस नेता प्रियकां गांधी वाड्रा का घर है. यहां पर अब प्रियंका छुट्टियां मनाने पहुंची हैं. उनके साथ उनका माता सोनिया गांधी भी शिमला पहुंची हैं और अब जल्द ही राहुल गांधी भी पहाड़ों की रानी का रुख करने वाले हैं. ऐसे में शिमला में पूरा गांधी परिवार एक साथ नजर आने वाला है. जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को राहुल गांधी को भी शामिल आना था, लेकिन आज निजी कारणों से उनका प्रोग्राम कैंसिल हो गया. वह करनाल तक आए थे. लेकिन आगे नहीं गए है. अब सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी शनिवार को शिमला का रुख करेंगे और यहां पर कुछ दिन मां और बहन के साथ व्यतीत करेंगे. गौरतलब है कि शिमला से 12 किमी दूर छराबड़ा में प्रियंका गांधी का घर का है. यहां पर अक्सर वह आती रहती हैं.

दरअसल, बीते 17 सितंबर को चंडीगढ़ से सड़क मार्ग के जरिये सोनिया गांधी शिमला पहुंची थी. तब से वह बेटी के घर में आराम फरमा रही हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि यदि दोनों मां बेटी हरियाणा और जम्मू कश्मीर चुनाव प्रचार में गईं तो यहीं से जाएंगी. उधर, प्रियंका और सोनिया के शिमला पहुंचते ही छराबड़ा के पास सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. सीएम सुक्खू भी दोनों से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है. बता दें कि इससे पहले, रविवार को प्रियंका गांधी शिमला पहुंची थी. अब राहुल गांधी के शिमला आने का प्रोग्राम है. शुक्रवार को उनके यहां आने की चर्चा थी लेकिन अब सूत्र बता रहे हैं कि वह शनिवार को आएंगे और मां और बहन के साथ वक्त गुजारेंगे.

शिमला से दिल्ली पर निशाना

शिमला से अब प्रियंका गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा है. प्रियंका ने एक एक्स हैंडल से एक पोस्ट किया है. प्रियंका ने लिखा, कुछेक भाजपा नेताओं और मंत्रियों की अनर्गल और हिंसक बयानबाज़ी के मद्देनज़र लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जीवन की सुरक्षा के लिए चिंतित होकर कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे जी ने प्रधानमंत्री जी को एक पत्र लिखा. प्रधानमंत्री जी की आस्था अगर लोकतांत्रिक मूल्यों, बराबरी के संवाद और बुज़ुर्गों के सम्मान में होती तो इस पत्र का जवाब वह ख़ुद देते. इसकी बजाय उन्होंने नड्डा जी की ओर से एक हीनतर और आक्रामक किस्म का जवाब लिखवा कर भिजवा दिया. बयासी बरस के एक वरिष्ठ जननेता का निरादर करने की आख़िर क्या ज़रूरत थी?  लोकतंत्र की परंपरा और संस्कृति, प्रश्न पूछने और संवाद करने की होती है. धर्म में भी गरिमा और शिष्टाचार जैसे मूल्यों से ऊपर कोई नहीं होता.

प्रियंका ने आगे लिखा कि आज की राजनीति में बहुत ज़हर घुल चुका है, प्रधानमंत्री जी को अपने पद की गरिमा रखते हुए, सचमुच एक अलग मिसाल रखनी चाहिए थी. अपने एक वरिष्ठ सहकर्मी राजनेता के पत्र का आदरपूर्वक जवाब दे देते तो जनता की नज़र में उन्हीं की छवि और गरिमा बढ़ती. यह अफ़सोस की बात है कि सरकार के ऊँचे से ऊँचे पदों पर आसीन हमारे नेताओं ने इन महान परंपराओं को नकार दिया है.

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