आल इंडिया लैय्या बिरादरी के प्रधान व अन्य पदाधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि 1947 विभाजन के समय अविभाजित हिंदुस्तान के पाकिस्तान वाले हिस्से से विस्थापित होकर आए हमारे बुजुर्गों ने आर्थिक परेशानियां झेलते हुए भी ना सिर्फ खुद को सशक्त किया बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी शिक्षा व स्वास्थ्य संबंधी संस्थान खोलकर समाज को आगे बढ़ाने का कार्य किया उनकी कुर्बानियों और उनके संघर्ष की गाथा को नई पीढ़ी के सामने रखने के लिए रविवार को एक बिरादरी का मिलन समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम इंद्रभान पीजी कॉलेज में रखा गया है जिसमें विभिन्न राज्यों से बिरादरी से जुड़े महानुभाव पहुंचेंगे और अपने अपने अनुभव साझा करेंगे इस दौरान मुल्तानी भाषा के भी कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि लोगों को पता लग सके की अविभाजित हिंदुस्तान के समय पंजाब के पाकिस्तान वाले से हिस्से
मैं बिरादरी के लोगों का जीवन कैसा था और किस तरह से अपने संस्थानों के द्वारा लोगों का भला किया जाता था मां बोली भाषा कैसी थी इस समारोह में वहां की जीवन और भाषा शैली को एक डॉक्यूमेंट्री के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा इस मौके पर बिरादरी के पूर्व प्रधान परमवीर,ढींगड़ा, नरेंद्र बरेजा, कमल नैन वर्मा, वरिष्ठ उपप्रधान अनिल नन्दवानी आदि उपस्थित रहे।