सरकाघाट। डेढ़-दो सौ मीटर लंबे और चालीस-पचास फुट ऊंचे डंगे भी मनरेगा योजना के तहत लगाने का सरकार का निर्णय बहुत ही अव्यवहारिक है और ये मदद के नाम पर प्रभावितों के साथ धोखा मात्र है। ये बात पूर्व ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने पिपली-भराड़ी ग्राम पंचायत की रीढ़ी बस्ती के एक दर्जन परिवारों के घरों के चारों तरफ गिरे लहासों को लगाने के बारे में सरकार के नियमों के बारे में कही। उन्होंने बताया कि इस बस्ती में सबसे ज्यादा नुक़सान हुआ है और लोगों को अपना मकान सुरक्षित करने के लिए पन्द्रह-पन्द्रह हज़ार रुपये तो तिरपाल खरीदने के लिए ख़र्च करने पड़े हैं। लेकिन अब सरकार के नियम का हवाला देते हुए राजस्व विभाग ने इन सभी घरों को न तो असुरक्षित घोषित किया है और न ही इन्हें कोई सहायता प्रदान करने के लिए चयनित किया है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि यहां पर मिलखी राम, जयपाल, मुंशी राम, बलबंत, कमलकांत, राजेन्द्र, राजेश वर्मा, मीना वर्मा, नरेश कुमार, राजपाल और दिनेश कुमार इत्यादि के घरों के आसपास बहुत ज्यादा और बड़े पैमाने पर ल्हासे गिरे हैं। हालांकि, इन्हें देखने विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों ने यहाँ पर दौरे करके रस्मअदायगी कर दी है, लेक़िन इन सभी घरों के आसपास लगने वाले डंगों पर दस से पंद्रह लाख रुपये खर्च होंगे, क्यूंकि इनकी लंबाई और ऊंचाई डेढ़ दो सौ से लेकर पचास फुट तक है। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि जयपाल का तीन कमरों वाला दो मंजिला कच्चा मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है लेकिन पटवारी ने इसे ग़लत तरीके से गैर रिहायसी दर्शाया है और इसे किसी भी प्रकार की सहायता से वंचित बना दिया है। हालांकि इस बारे में विधायक चन्द्रशेखर को भी अवगत करवाया गया था कि पटवारी ने ग़लत रिपोर्ट तैयार की है लेक़िन उसके बाबजुद भी इसे दुरुस्त नहीं किया गया है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि ये सारा क्षेत्र असुरक्षित हो गया है और लोगों ने जो लाखों रुपए खर्च करके जो मकान बनाये हैं अब वे यहां रहने से घबरा रहे हैं। दूसरी तरफ यहां के लिए बनी सम्पर्क सड़क और रास्ते पूरी तरह टूट गए हैं लेकिन इन्हें ठीक करने में ग्राम पंचायत कोई क़दम नहीं उठा रहा है। इन्हें अभी तक मदद के तौर पर एक छोटा सा तिरपाल ही दिया गया है जबकि एक एक घर के आसपास दर्ज़नो तिरपाल लोगों ने खरीद कर बिछाए हुए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस प्रकार के घरों के आसपास डंगे मनरेगा के बजाए दूसरी मद्दों से स्वीकृत किया जाए। अन्यथा सरकार द्धारा मदद के नाम पर हर रोज की जा रही घोषणाएं जनता को मूर्ख बनाने का ही काम कर रही हैं। वह रीढ़ी बस्ती में हुए नुक़सान की भरपाई के लिए नियमों में तुरन्त बदलाव करे और इन सभी घरों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाए।