विश्व के सबसे ऊंचे व दुर्गम रणक्षेत्र जम्मू कश्मीर के गलेश्यिर में दो साल तक बर्फीले आतंक से लड़ते हुए पूरी मुश्तैदी के साथ अपनी डयूटी निभाकर अभी कुछ दिन पहले ही अमृतसर में पोस्टेड होकर आए भारतीय सेना की 9 पंजाब रेजीमेंट के हवलदार प्रवीण सिंह सलारिया जो गत दिवस क्वार्टर गार्ड में डयूटी दे रहे थे कि अचानक उनकी छाती में दर्द हुआ तो डयूटी पर तैनात बाकी साथी सैनिकों ने उन्हें अस्पताल चलने को कहा, मगर हवलदार प्रवीण ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह क्वार्टर गार्ड की महत्वपूर्ण डयूटी को छोडक़र नहीं जा सके। मगर दर्द जब असहनीय हो गया तो उसके साथी उन्हें मिल्ट्री अस्पताल लेकर गए, जहां ह्रदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया,
आज हवलदार प्रवीण सिंह सलारिया के पैतृक गांव खुदादपुर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। तिब्बड़ी कैंट से नायब सूबेदार मुकेश कुमार के नेतृत्व में आए सेना की 17 राज राइफल्स युनिट के जवानों ने शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया को सलामी दी। इससे पहले तिरंगे में लिपटी शहीद की पार्थिव देह को उसकी युनिट के जवान जब अमृतसर के गांव खुदादपुर लेकर पहुंचे तो माहौल अत्यन्त गमगीन हो गया। शहीद प्रवीण की पत्नी मोनिका सलारिया, बेटी तनवी सलारिया व आदिती सलारिया की करुणामयी सिसकियों से हर आंख नम हो उठी।शहीद हवलदार प्रवीण सलारिया की पार्थिव देह को लेकर आए उनकी युनिट के नायब सूबेदार दलबीर सिंह ने नम आंखों से बताया कि प्रवीण बहुत ही बहादुर सैनिक था
उधर इस के साथ हाई शहीदसनिक परिवार परिषद के महासचिव रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि हमारे बहादुर सैनिक कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी डयूटी निभाते हुए देश की सुरक्षा करते हैं। प्रवीण भी गलेशियर के माइनस 50 डिग्री के तापमान में दो साल डयूटी निभाने के बाद अमृतसर के प्लस तापमान को वह झेल न पाए। जिससे डयूटी को प्राथमिकता देते हुए चल बसे।