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वन सरंक्षण क़ानून 1980 को रद्द करने की हिमाचल किसान सभा ने उठाई मांग

सरकाघाट। हिमाचल किसान सभा की आज सरकाघाट में बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता रणताज़ राणा ने की और ज़िला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज व सीटू के ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी बैठक में शामिल हुए। बैठक में राष्ट्रीय उच्च मार्ग निर्माण कार्य कर रही गाब्बर व सूर्या कंस्ट्रक्शन कंपनी से एनएचएआई द्धारा करवाए जा रहे कार्य के प्रति रोष जताया गया। जिससे अवाहदेवी से सरकाघाट और पाड़छु तक खोदी गयी सड़क के कारण जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कंपनी अपने मनमाने तरीके से ही काम कर रही है। इसके अलावा भारी वर्षा के कारण हुए नुक़सान की भरपाई करने और बेघर व भूमिहीनों को भूमि देने की मांग की गई। जिसके लिए 1980 में वन सरंक्षण क़ानून को रद्द करने या उसे संशोधित करने की भी मांग की गई। क्यूंकि जब तक ये नहीं किया जाता है तब तक सरकार द्वारा की जा रही घोषणाएं कांगजों में ही रहेगी। इसके अलावा आवारा पशुओं की समस्या का स्थायी समाधान करने तथा सरकाघाट अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करने व डायलेसिस की क्षमता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाएगा। वर्षा से हुए 15 हज़ार करोड़ रुपये के नुक़सान को केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित करे और तुरन्त हिमाचल प्रदेश को दस हजार रुपये का पैकेज दिया जाए। इसके लिए किसान सभा गांव में जनसंपर्क व जागरूकता अभियान चलाएगी और 25 नवंबर को शिमला में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा ये भी निर्णय लिया गया कि नवंबर महीने में सभी गांवों में सदस्यता अभियान भी चलाया जाएगा। बैठक में दिनेश काकू,दिनेश ठाकुर, सुरेश शननी, मिलाप चंदेल,मोहनलाल, करतार सिंह, श्याम सिंह, बाला राम इत्यादि ने भाग लिया।

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