अक्सर ही न्यायालय द्वारा जमानत के लिए विभिन्न शर्तें रखी जाती हैं लेकिन कई बार यह बहुत विचित्र होती हैं। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी के सामने शर्त रखी है कि यदि वह कुत्ते को घर से बाहर नहीं निकालेगा तो ही उसे जेल से बाहर आने की जमानत दी जाएगी। यदि कुत्ते को घर से बाहर निकाला गया तो शिकायतकर्ता जमानत रद्द करने की अर्जी दाखिल कर सकता है।
आरोप के अनुसार याचिकाकर्ता झज्जर के बहादुरगढ़ निवासी नवीन का कुत्ते को गली में घुमाने को लेकर अपने पड़ोसी विकास से झगड़ा हो गया था। झगड़ा इस कदर बढ़ गया कि नवीन ने गोली चला दी, जिसके चलते विकास और उसकी पत्नी घायल हो गए। विकास की शिकायत पर पुलिस ने नवीन, उसके भाई और पिता के खिलाफ पांच मई, 2020 को हत्या के प्रयास, धमकी और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
शिकायतकर्ता विकास ने पुलिस को बताया कि नवीन के घरवालों द्वारा कुत्ते को गली में घुमाने और मल करवाने पर आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद दोनों पक्षों में झड़प हुई और आरोपी नवीन ने गोली चला दी। पुलिस ने आरोपियों को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया था। याची के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ने उसके भाई पर हमला किया था और आत्मरक्षा में याची ने अपनी लाइसेंस पिस्तौल से बचाव में गोली चलाई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी कौन है इसका फैसला ट्रायल के दौरान होगा लेकिन याचिकाकर्ता पांच मई से हिरासत में है और जांच पूरी हो गई है। ऐसे में याची को जमानत का लाभ दिया जा सकता है। इसके लिए हाईकोर्ट ने तीन शर्त रखी। याची 15 दिन के भीतर विकास और उसकी पत्नी सुनीता को ड्राफ्ट के रूप में 50,000 रुपये इलाज के लिए देगा। केस खत्म होने तक हथियार पुलिस के पास रहेगा। तीसरी और सबसे अलग शर्त यह रखी गई कि याची अपने कुत्ते को गली में घुमाने व मल करवाने नहीं ले जाएगा।