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समता पार्टी के जमाने से ही गोपालगंज में जदयू ने कर रखा है अपने को सक्रिय

छठे चरण के तहत बिहार के जिन आठ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान हो रहा उनमें एक गोपालगंज (सुरक्षित) लोकसभा सीट है। वर्ष 2019 में जदयू के आलोक कुमार सुमन को वहां से सफलता मिली थी। इस बार भी नीतीश कुमार की जदयू ने गोपालगंज से आलोक कुमार सुमन को ही वहां से अपना प्रत्याशी बनाया है। जदयू गोपालगंज में अपनी सक्रियता 1998 से ही जोड़ता है। उस समय जदयू का अस्तित्व समता पार्टी के रूप में था।जदयू इस सीट पर दावेदारी के क्रम में अपने पुरानी सक्रियता की खूब चर्चा करती है। जब गोपालगंज सीट सुरक्षित हो गयी तो सबसे पहले इस सीट पर जदयू के टिकट पर पूर्णमासी राम को सफलता मिली। वर्ष 2009 के आम चुनाव में उन्हें जीत मिली। पर जदयू ने जब एनडीए से हटकर 2014 का आम चुनाव लड़ा तो गोपालगंज से उसके प्रत्याशी चुनाव हार गए। भाजपा के जनक राम गोपालगंज से सांसद हो गए। जदयू के प्रत्याशी अनिल कुमार 11.11 प्रतिशत वाेट के साथ तीसरे नंबर पर रहे।वर्ष 2019 में पुन: एनडीए के साथ होकर नीतीश कुमार की जदयू ने गोपालगंज में अपनी सक्रियता बढ़ायी। इस बार आलोक कुमार सुमन को जदयू ने अपना प्रत्याशी बनाया। उन्हें 55.44 प्रतिशत वोट आए और वह चुनाव जीत गए। राजद के सुरेंद्र राम उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी थे और उन्हें 27.49 प्रतिशत वोट आए थे। इस बार के आम चुनाव में जदयू ने पुन: आलोक कुमार सुमन को मैदान में उतारा है।जब गोपालगंज सीट सुरक्षित नहीं थी ताे 1984 के आम चुनाव में काली पांडेय इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीत गए थे। द्वारका नाथ तिवारी कांग्रेस की टिकट पर तीन बार और एक बार जनता पार्टी के टिकट पर यहीं से सांसद रहे। राजद के टिकट पर साधु यादव 2004 में यहां से सांसद हुए थे।वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र इस बात को लेकर पूरे देश में सुर्खियों में था कि सबसे अधिक नोटा के तहत यहीं वोट डाले गए थें। कुल 51,660 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था।

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