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कर्नाटक बहुमत का बुखार

कमलेश भारतीय
पांच दिन हो गये कांग्रेस को कर्नाटक में पूर्ण बहुमत प्राप्त किये हुए लेकिन अभी ‘मुख्यमंत्री कौन बनेगा’ खेल रही है कांग्रेस ! इतना बड़ा फैसला लेने में रणदीप सुरजेवाला के अनुसार अभी दो तीन दिन और लग सकते हैं ! वाह ! मीडिया अफवाहें फैला रहा है । अफवाहों पर ध्यान न दीजिए । रणदीप सुरजेवाला की मानिये भाई !
पंजाबी में एक गाना है :
मैंन्नू गर्मी दा हो गया बुखार
मैं न बचदी !
इसी तर्ज पर लगता है कि कांग्रेस को कर्नाटक में बहुमत का बुखार हो गया लगता है और इसका बचना मुश्किल है ! कांग्रेस हाईकमान भी कोई फैसला नहीं ले पा रही । बस , सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार को मनाने में जुटी है । दो फार्मूले दिये गये -आधा आधा समय राज कर लो । दूसरा उपमुख्यमंत्री बन जाओ । डी के शिवकुमार को दोनों मंजूर नहीं हैं । या तो पूरे समय के लिये मुख्यमंत्री बनूंगा या फिर विधायक रह कर ही खुश रहूंगा ! कमाल का जवाब ! सोच में है कांग्रेस हाईकमान ! डी के शिवकुमार के सहयोगी पिछली बार गठबंधन सरकार के टूटने की वजह सिद्धरमैया को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । अब उसी नेता को फिर कमान देने जा रहे हो ? डी के ने बातें तो बहुत बड़ी बड़ी कीं कर्नाटक से दिल्ली चलने से पहले लेकिन बातों की हवा खुद ही निकाले जा रहे हैं । पार्टी मां है , सोनिया का हर आदेश मानूंगा और किसी विधायक को तोड़ूंगा नही । बिकूंगा नहीं । ब्लैकमेल नहीं करूंगा ! सभी 135 विधेयक कांग्रेस के हैं , मेरा कोई विधायक नहीं ! अब क्या हुआ ? सोनिया गांधी , राहुल गांधी जहां तक कि प्रियंका गांधी सभी तो मना रहे हैं , फिर ‘मैं न मानूं’ की रट किसलिये लगा रखी है डी के शिवकुमार जी ?
इस जिद्द के आगे कांग्रेस हाईकमान बेबस नजर आ रही है । राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बेबस नजर आ रहे हैं ! अपने ही गृहराज्य पर पकड़ मजबूत नहीं !
जो भी फैसला होगा वह आने वाले हरियाणा , राजस्थान व छत्तीसगढ़ राज्यों के चुनाव परिणामों पर भी असर डालेगा । खासतौर पर हरियाणा में जहां कांग्रेस इसी तरह की बम्पर जीत की उम्मीद लगाये हुए है । जीत के बाद यहां भी इसी तरह के राजनीतिक गतिरोध की आशंका अभी से है । तो क्या क्रांग्रेस हाईकमान में दम नहीं रहा ? हाथ से हाथ नहीं जुड़ रहे । क्यों ? जिस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का यह सुफल है , उसी की बात नहीं मान रहे कर्नाटक के नेता ? फिर कैसा नेता और कौन नेता ? यह तो वही बात हो गयी कि बहुमत के बुखार ने दोनों नेताओं को बुरी तरह अपनी गिरफ्त में ले रखा है !
दुष्यंत कुमार कहते हैं :
जरा सा तौर तरीकों में हेर फेर करो
तुम्हार हाथ मे कालर हो , आस्तीन नहीं !

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